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नजरिया: क्या नई संसद के बाद नया संविधान भी आएगा:

नई दिल्ली। 18 वीं लोकसभा के चुनाव में संविधान और आरक्षण बहुत बड़ा मुद्दा बन गए हैं इसकी गंज उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम हर जगह सुनाई दी। एससी एसटी ओबीसी और आदिवासी समाज का बहुत बड़ा हिस्सा इस बात से आशंका से भरा हुआ है कि इस बार यदि मोदी सरकार आती है तो जैसे संसद बदल दिया वैसे ही संविधान भी बदल दिया जाएगा।

सरकार ने अपनी तरफ से सफाई देने की बहुत कोशिश की और इस मुद्दे पर काउंटर नॉरेटिव खड़ा करते हुए यह बताने की कोशिश की कि इंडिया गठबंधन की सरकार आने पर आरक्षण छीनकर मुसलमानो को दे देगी लेकिन यह भी नही चला जिसके बाद मंगलसूत्र मुसलमान मछली जैसे मुद्दों से संविधान के मुद्दे को दबाने की कोशिश की गई लेकिन बात बनी नही।

लोगों में इस बात की चर्चा है कि नई संसद में राज दंड रखा गया है और राजदंड लोकतंत्र का नहीं बल्कि राजतंत्र का प्रतीक है। चुनाव सातवें चरण में है लेकिन लोगों की आशंका जस की तस बनी हुई है। अब तो 4 जून का नतीजा ही बताया कि नई संसद और नया संविधान का मुद्दा क्या गुल खिलाएगा यह तो 4 जून को ही पता चलेगा।

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