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होत न आज्ञा बिनु पैसा रे:

वर्षों से इंस्पेक्टर और बाबुओं के सर्विस बुक पर एंट्री नही हुई एसीपी:

प्रयागराज। आसमान से गिरे तो खजूर में अटके। यह कहावत आबकारी विभाग में खूब चरित्रार्थ हो रही है। लंबी प्रतीक्षा के बाद किसी तरह ग्रेडेशन लिस्ट जारी हुई तो अब पता चल रहा है कि लिपिक और इंस्पेक्टर संवर्ग की सर्विस पत्रावली में वर्षों से एसीपी एंट्री नहीं है। एसीपी एंट्री करने का काम जिस इंस्पेक्टर प्रसेन राय के जिम्मे है। चर्चा है कि उसने खुलेआम ₹50000 और 1 से 2 लाख रुपए रेट तय कर दिया है। यह जानकारी आबकारी आयुक्त को भी है लेकिन उन्होंने इस पूरे प्रकरण में चुप्पी साध रखी है जबकि एडिशनल कमिश्नर ज्ञानेश्वर त्रिपाठी के बारे में कहां जा रहा है कि वहां एक चौपाई प्रसिद्ध है कि होत ना आजा बिन पैसा रे। माना जा रहा है कि होने वाली डीपीसी से पहले लाखों रुपए की वसूली हो सकती है। एसीपी पटल देखने वाले इंस्पेक्टर का कहना है कि भले ही प्रमुख सचिव ने 20 दिन के अंदर एसीपी एंट्री करने का आदेश दिया हो लेकिन इंस्पेक्टर प्रसेन राय को मौद्रीकरण किये बिना कमिश्नर और प्रमुख सचिव भी कुछ नहीं कर सकते। कमिश्नर आदर्श सिंह इस भ्रष्ट इंस्पेक्टर के सामने इस कदर लाचार हैं की 10 वर्ष से नियम विरुद्ध कार्मिक में तैनात प्रसेन का तबादला कौन कहे पटल भी नहीं बदल पाए। दरअसल इंस्पेक्टर की मुद्रा नीति से पूरा मुख्यालय प्रभावित है।

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