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वर्ण और जाति व्यवस्था जरूरी:

पांचजन्य में लेख के जरिए जाति और वर्ण व्यवस्था का किया बचाव

नई दिल्ली। आरएसएस ने हिन्दुओं की जाति व्यवस्था को फिर से सही बताया है और कहा कि जाति व्यवस्था ही भारत को एकजुट रख सकती है। आरएसएस ने यह बात लिखित रूप से अपने मुखपत्र पान्चजन्य में प्रकाशित संपादकीय में कही है। इस तरह कांग्रेस, सपा, आरजेडी, डीएमके समेत सभी विपक्षी दलों की यह आशंका सच साबित हो रही है कि आरएसएस भाजपा का इस्तेमाल करके आरक्षण को खत्म करना चाहता है, संविधान को बदलना चाहता है। इसी का नतीजा लैटरल एंट्री के जरिए नियुक्तियां का मामला भी है। ताज्जुब है कि पान्चजन्य में प्रकाशित संपादकीय पर कांग्रेस समेत किसी विपक्षी दल ने प्रतिक्रिया तक नहीं दी।

संपादक हितेश शंकर ने लिखा है- “जाति व्यवस्था एक चेन सिस्टम की तरह है जो भारत के विभिन्न वर्गों को उनके पेशे और परंपरा के अनुसार वर्गीकृत करने के बाद एकसाथ रखती है। औद्योगिक क्रांति के बाद, पूंजीपतियों ने जाति व्यवस्था को भारत के रक्षक के रूप में देखा।” यानी पूंजीवाद भी जातिवाद के रूप में संरक्षित है

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