अवधभूमि

हिंदी न्यूज़, हिंदी समाचार

टेक्नोलॉजिस्ट अनिल वर्मा की रिपोर्ट से फंसा आबकारी महकमा:

एक ही प्रकरण की दो अलग-अलग लैब रिपोर्ट:

लखनऊ। आबकारी विभाग के लखनऊ और मेरठ क्षेत्रीय प्रयोगशाला के टेक्नोलॉजिस्ट अनिल वर्मा की फर्जी रिपोर्ट के बाद आबकारी महकमा कोर्ट में फंस गया है। पता चला है कि अलीगढ़ के वरदान ग्रुप द्वारा इंपोर्ट की गई एक ड्रम आइसोप्रोपाइल एथेनॉल बरामद किया और इसके लैब टेस्ट के लिए मेरठ की क्षेत्रीय प्रयोगशाला भेजा गया जहां तैनात प्रभारी टेक्नोलॉजिस्ट अनिल वर्मा ने बरामद की गई प्रॉपर्टी को मेथेनॉल घोषित कर दिया। इसी आधार पर अलीगढ़ की प्रवर्तन इकाई ने  वरदान ग्रुप पर अवैध रूप से मेथेनॉल के भंडारण और बिक्री का अभियोग लगाते हुए आबकारी अधिनियम के धारा 60 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया। प्रवर्तन विभाग की इस कार्रवाई में बड़ा पेच फस गया है। सबसे बड़ा पेच यही फंसा हुआ है कि जब लैब टेक्नोलॉजिस्ट ने बरामद किए गए केमिकल को मेथेनॉल घोषित किया तो इसकी तुरंत जानकारी आबकारी आयुक्त को क्यों नहीं दी गई। अब इस मामले में नया ट्विस्ट यह आ गया है कि आबकारी महकमें को फंसता हुआ देखकर लैब टेक्नोलॉजिस्ट अनिल वर्मा ने एक और रिपोर्ट जारी की जिसमें कहा है कि बरामद किया गया केमिकल मेथेनॉल नहीं है लेकिन अनिल वर्मा ने यह भी नहीं बताया कि यदि यह बरामद किया गया केमिकल मेथेनॉल नहीं है तो क्या है।

सवाल यह भी खड़ा हो गया है कि बरामद किए गए केमिकल की दो लैब रिपोर्ट क्यों जारी की गई। अनिल वर्मा की दो लैब रिपोर्ट से दो निष्कर्ष निकल रहा है। यदि पहले लैब रिपोर्ट में मेथेनॉल की पुष्टि हुई तो विभाग ने इस रिपोर्ट के आधार पर क्या कार्रवाई की। इस रिपोर्ट की आख्या आबकारी आयुक्त को क्यों नहीं दी गई। और दूसरी रिपोर्ट जिसमें अनिल वर्मा ने कहा है कि बरामद किया गया केमिकल मेथेनॉल नहीं है तो उन्हें यह भी बताना चाहिए कि परीक्षण के लिए भेजा गया सैंपल कौन सा केमिकल है। सूत्रों के मुताबिक अलीगढ़ की प्रवर्तन इकाई द्वारा कथित रूप से वरदान ग्रुप से बरामद केमिकल वास्तव में आइसो प्रोपाइल इथेनॉल था जो एक्साइज डिपार्टमेंट के जूरिडिक्शन में नहीं आता था। कहा जा रहा है कि प्रवर्तन इकाई द्वारा टेक्नोलॉजिस्ट अनिल वर्मा के साथ मिली भगत करके बरामद किए गए केमिकल को मेथेनॉल घोषित कर वरदान ग्रुप से अवैध वसूली की कोशिश की गई लेकिन जब वरदान ग्रुप में पैसे देने से इनकार कर दिया और सैंपल से भांडा फूटने का डर सताने लगा तो एक और रिपोर्ट दाखिल करके इस केमिकल को मेथेनॉल मानने से इनकार कर दिया गया। किस खेल से आबकारी महकमा बुरी तरह फंस गया है दो-दो रिपोर्ट जारी करने वाले अनिल वर्मा की भी मुसीबत बढ़ गई है। सबसे बड़ी मुसीबत आबकारी विभाग की है उसने वरदान ग्रुप पर धारा 60 के तहत गंभीर आरोप लगाकर कार्रवाई की है जबकि अनिल वर्मा जिस रिपोर्ट के आधार पर या कार्रवाई हुई है उसको अनिल वर्मा ने ही खारिज कर दिया है।

About Author