अलीगढ़। डिप्टी एक्साइज कमिश्नर अलीगढ़ कुलदीप मिश्रा की भूमिका तब सवालों के घेरे में आ गई जब उनके नेतृत्व वाली प्रवर्तन टीम ने वरदान इंक द्वारा इंपोर्ट केमिकल को प्रतिबंधित और खतरनाक अल्कोहल की श्रेणी में मानते हुए बिना अनुमति भंडारण करने के आरोप में आबकारी अधिनियम की धारा 60 के तहत मुकदमा दर्ज करवाया। सवाल उठता है कि केमिकल का बिना लैब परीक्षण रिपोर्ट के प्रवर्तन टीम इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंची की बरामद किया गया केमिकल मेथेनॉल है। मुकदमा दर्ज करवाने के बाद आबकारी विभाग खुद ही फंसा हुआ है अभी तक मेरठ की क्षेत्रीय लैब में बरामद सैंपल के दो बार परीक्षण हुए और दोनों बार रिपोर्ट अलग-अलग आने से विभाग की काफी किरकिरी हो रही है। आबकारी विभाग के सामने सबसे बड़ी मुश्किल यह आ रही है कि लैब टेक्नोलॉजिस्ट अनिल वर्मा और वरदान इंक की मिली भगत से आबकारी विभाग को यह मुश्किल सामने आ रही है।
क्यों उठ रहे हैं सवाल:
अनिल वर्मा जो कि लखनऊ के साथ-साथ मेरठ की विभागीय प्रयोगशाला का प्रभारी टेक्नोलॉजिस्ट है उसने जब पहले सैंपल में मेथेनॉल पाया तो परीक्षण रिपोर्ट तैयार करने से पहले उसे कमिश्नर को तुरंत ब्रीफ करना था। ऐसा अनिल वर्मा ने क्यों नहीं किया समझ से परे है। अनिल वर्मा को यह बताना ही होगा कि उन्होंने पहली परीक्षण रिपोर्ट को वापस कैसे लिया क्या उसके लिए वरदान ग्रुप से कोई डील हो गई। दूसरा और अहम सवाल यह है कि दूसरा सैंपल रिपोर्ट किसने लिया और इस लैब में परीक्षण के लिए भेजने का आदेश किसका था। अनिल वर्मा ने बरामद केमिकल के दूसरे सैंपल को बिना कमिश्नर के अनुमति के कैसे परीक्षण किया। यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि कमिश्नर के निर्देश के अनुसार एक ही प्रकरण में दूसरे सैंपल का परीक्षण बिना उनके आदेश के नहीं होगा
यह प्रकरण उसी वरदान इंक कंपनी से जुड़ा है जो 4 साल पहले अलीगढ़ में एक जहरीली शराब कांड जिसमें कम से कई लोग मारे गए थे । तब यह आरोप लगा था कि इस कंपनी द्वारा इंपोर्ट किए गए केमिकल जो कि मेथेनॉल था वही जहरीली शराब के रूप में लोगों को परोसा गया था और कई लोग मारे गए।
वैसे तो यह फैक्ट्री अब सील हो गई है लेकिन रहस्यमय ढंग से यह फैक्ट्री इसी नाम और पते के साथ अब भी किसी और जीएसटी नंबर से चल रही है। सवाल पैदा हो रहा है कि बिना एक्साइज ऑफीसर के मिली भगत के केमिकल इंडस्ट्री मेथेनॉल जैसी घातक रसायनों की आपूर्ति इस कंपनी को कैसे कर रही है।
पता चला है कि प्रवर्तन टीम ने ताला नगरी पुलिस चौकी के करीब ही आरोपी वरदान इंक कंपनी के ही फार्म हाउस में रसायनों से भरा हुआ ड्रम बरामद किया जिसके आधार पर कंपनी के खिलाफ धारा 60 के तहत प्राथमिक की दर्ज कराई गई। यह सवाल तो उठेगा ही कि आखिर फार्म हाउस में कौन सी कंपनी चल रही थी और जिस काम के लिए यह रसायन मंगाया गया था उसका वास्तव में इंक बनाने में ही उपयोग हो रहा था या नहीं। प्रवर्तन टीम और डिप्टी एक्साइज कमिश्नर ने इस बात का विवरण क्यों नहीं दिया कि आखिर यह रसायन का भंडारण कहां किया जा रहा था और इसका किस काम में उपयोग होने वाला था।
कुलदीप मिश्रा सवालों के घेरे में क्यों:
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब प्रवर्तन टीम ने उनके ही निर्देश पर यह कार्रवाई की तो उन्होंने मेथेनॉल जैसी रिपोर्ट आने के बाद इसकी सूचना आपकारी आयुक्त और जॉइंट एक्साइज कमिश्नर आगरा को क्यों नहीं दी। कुछ भी हो इस अराजकता की अब चर्चा हो रही है और आबकारी विभाग की अराजकता और अनियमितता की पोल खुल रही है।
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