
तबादला एक्स्प्रेस में गड़बड़ी गैंग की बल्ले बल्ले, 12-15 साल वाले जमे रहे:
यूपी की तबादला एक्स्प्रेस व्यापक गड़बड़ियों और भ्रस्टाचार कारण मीडिया की खबरों में आते ही विपक्ष के नेताओं के निशाने पर आई, बीएसपी, एसपी ने तल्ख टिप्पणी की हैं,बीएसपी मुखिया मायावती ने तबादला की गड़बड़ियों को अंजाम देने वालों के विरुद्ध सीएम द्वारा कार्यवाही करने का ट्वीट किया है। हालांकि गड़बड़ियों की खबरों के सीएम दफ्तर को हो जाने के बाद वन,बेसिक शिक्षा, पशुधन, स्टाम्प रजिस्ट्रेशन, कृषि, आयुष सहित आधा दर्जन से अधिक सरकारी विभागों के हजार से अधिक संख्या में तबादलों को विभागों के प्रमुख सचिवों द्वारा निरस्त कर तबादला सेशन शून्य घोषित दिया गया है, यूपी की तबादला एक्स्प्रेस में विभाग के निदेशक, एमडी सहित विभागीय मंत्रियों और प्रमुख सचिवों के दफ्तर के सचिवालय स्टाफ द्वारा व्यापकता में गड़बड़ियां किये जाने की पुष्टि हुई है। सालाना तबादलों में कथित शिकायतों/गड़बड़ियों के संज्ञान बाद सीएम दफ्तर ने अलग से जांच करने को कहा गया है गड़बड़ी भ्रष्टाचार में शामिल रहे विभागों के अधिकारी और सचिवालय स्टाफ को चिन्हित करने का विशेष अभियान भी चालू है।
एनआईसी और आबकारी आयुक्तालय की मिली भगत से ट्रांसफर पोस्टिंग में हुई जमकर धांधली:
जानकारी मिली है कि आबकारी विभाग में तैनात एक निरीक्षक रवि कुमार जिसकी पत्नी आबकारी आयुक्त की निजी सहायक है तथा सहायक आबकारी आयुक्त राजेश मिश्रा सहायक आबकारी आयुक्त मुबारक अली एवं प्रयागराज गोदाम के प्रभारी निरीक्षक शैलेंद्र तिवारी एवं डिप्टी कार्मिक कुमार प्रभात चंद ट्रांसफर पोस्टिंग के खेल के मास्टरमाइंड रहे। जानकारी मिली है कि इस खेल में एनआईसी भी शामिल रहा। और सनसनी खेज जानकारी मिली है कि ऑनलाइन ट्रांसफर जैसी कोई बात ही नहीं हुई है। 3 से 5 वर्ष सेक्टर में तैनात रहे बहुत से आबकारी निरीक्षकों कि मानव संपदा पोर्टल पर पहुंच को बाधित किया गया। जबकि पैसा और पावर वाले लोगों को या दूसरे शब्दों में कहें कि कमिश्नर की कृपा प्राप्त लोगों को आसानी से विकल्प भरने की आजादी मिली। धांधली की शिकायत अब सारे आम हो रही है और सूचना मंत्री और मुख्यमंत्री तक पहुंच रही है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या आबकारी विभाग के तबादले भी निरस्त होंगे या फिर पैसे के दम पर भ्रष्टाचारी अपने मिशन में कामयाब हो जाएंगे।
सबसे बड़ा सवाल यही है कि यदि धांधली वसूली और भ्रष्टाचार के चलते आधा दर्जन से ज्यादा विभागों में तबादला शून्य हो गया तो आबकारी विभाग में ऐसा क्यों नहीं हो रहा है।
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