
लखनऊ। आबकारी आयुक्त प्रत्येक मंगलवार को अवैध शराब की तस्करी पर विभाग को डांट लगाते हैं और प्रवचन देते हैं लेकिन जिस तरह से पंजाब और हरियाणा की शराब उत्तर प्रदेश की सीमा से प्रवेश करके बिहार पहुंच रही है उससे उनकी कार्य प्रणाली पर सवाल उठता है।
आज लखनऊ में डीसीपी दक्षिणी निपुण अग्रवाल ने बताया कि पंजाब के चंडीगढ़ से चलकर एक ट्रक शराब लखनऊ में पकड़ी गई है जिसकी बाजार में कीमत एक करोड रुपए से अधिक हो सकती है। बताया कि करीब 13000 बोतल विदेशी मदिरा लोहे की बड़ी-बड़ी पाइपों में डालकर बिहार ले जाने की तैयारी थी। उन्होंने बताया कि लोहे की पाइप में शराब की बोतल को स्टोर किया गया था जिससे कि वह स्कैन ना हो सके। डीसीपी निपुण अग्रवाल के मुताबिक ट्रक की चेचिस किसी विनय मिश्रा के नाम पर दिखाई पड़ी।
तस्कर इस्तेमाल करते हैं सिग्नल नाम का ऐप:
यह भी जानकारी मिली है कि सरकारी एजेंसियों के सर्वेलेंस से बचने के लिए तस्कर सिग्नल नाम का एक ऐप इस्तेमाल करते थे। पुलिस के मुताबिक जब ट्रक चंडीगढ़ में लोड हो जाता था तो सिग्नल ऐप के जरिए तस्करों को मैसेज आता था और तस्कर जब गाड़ी लेकर निकलता था तो अगली सीमा पर उनके लोगों को सिगनल ऐप से मैसेज चला जाता था। वह सिग्नल एप्लीकेशन के जरिए अपनी लोकेशन क्लियर करते हुए बिहार की सीमा में प्रवेश कर जाते थे।
तो क्या यूपी के जिला आबकारी अधिकारी वसूलते हैं तस्करों से टोल:
कहा जा रहा है कि दिलीप मणि त्रिपाठी के मेरठ का जॉइंट एक्साइज कमिश्नर बनने के बाद तस्करों के हौसले बुलंद हैं। यह भी चर्चा हो रही है कि उत्तर प्रदेश के पश्चिमी सीमा से यह तस्कर यूपी में प्रवेश करते हैं और बिजनौर में आबकारी विभाग के एक बदनाम अधिकारी को टोल अदा कर आराम से हरदोई और लखनऊ के रास्ते आगे बढ़ जाते हैं। यहां यह भी जानकारी मिली है कि लखनऊ डिवीजन में जिला आबकारी अधिकारी और उनकी टीम एवं लखनऊ पुलिस की सक्रियता से तस्कर लखनऊ की सीमा नहीं पार कर पाए और शिकंजे में फंस गए फिर भी लखनऊ की सीमा में जहां से भी प्रवेश किए हैं वहां से संबंधित जिला आबकारी अधिकारी और सहायक आबकारी आयुक्त प्रवर्तन अपनी जिम्मेदारी से कदापि नहीं बच सकते । सवाल यह है कि तस्कर हरदोई के रास्ते लखनऊ प्रवेश किए तो वहां के सहायक आबकारी आयुक्त प्रवर्तन और जिला आबकारी अधिकारी क्या कर रहे थे । ऐसा लगता है कि तस्करी को रोकने के लिए तैनात प्रवर्तन की टीमों को निष्क्रिय कर दिया गया है जिसका फायदा शराब तस्कर उठा रहे हैं। सच्चाई तो यह है कि विभाग के कुछ अधिकारी जो टास्क फोर्स ईआईबी में तैनात है उनके सहयोग के बिना इस तरह खुले आम उत्तर प्रदेश की सीमा में 800 किलोमीटर की दूरी तय करके बिहार की बॉर्डर में नहीं पहुंचा जा सकता।
मंत्री कई बार जाहिर कर चुके हैं अपनी नाराजगी:
विभाग के मंत्री नितिन अग्रवाल सीमा पार से उत्तर प्रदेश में शराब तस्करी पर कई बार नाराजगी जाता चुके लेकिन आबकारी मुख्यालय के शीर्ष अधिकारी पर इसका कोई असर पड़ता नहीं दिखाई दिया। इस सवाल का जवाब कमिश्नर को देना चाहिए कि आखिर यह ट्रक यूपी सीमा से लखनऊ तक करीब 500 किलोमीटर कैसे पहुंच गया और रास्ते में प्रवर्तन इकाइयां कहां सोई हुई थी।


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