अवधभूमि

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लखनऊ। विभागीय मंत्री नितिन अग्रवाल की  सख्ती से  परेशान शासन और विभाग के शीर्ष अधिकारी उनके खिलाफ एक बड़ी साजिश रच रहे हैं। बताया जा रहा है कि प्रयागराज जनपद में तैनात और विवादित तथा शराब तस्करी जैसे आरोपों से  घिरे  एक आबकारी निरीक्षक जिसका पता शंकर घाट तेलियरगंज प्रयाग है वह आरटीआई एक्टिविस्ट बनकर ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सूचना मांग रहा है जो अब सेवा में नहीं है। बताया जा रहा है कि आरटीआई से मांगी जाने वाली सूचना विपक्ष के किसी विधायक को दी जाएगी और वह विधानसभा में क्वेश्चन  उठाएगा  यह भी कहा जा रहा है कि विपक्ष को आबकारी विभाग के शीर्ष अधिकारी अपने ही सेवानिवृत अधिकारियों को फसाने के लिए ऐसी तमाम सूचना उपलब्ध करवाने वाले हैं जिनकी जांच हो चुकी है। जिनका कोर्ट में ट्रायल चल चुका है तथा राज्यपाल के स्तर से भी प्रकरण  क्षेपित हो चुका है। विपक्ष द्वारा विधानसभा में प्रश्न उठाकर विभाग और मंत्री पर निशाना साधा जाएगा और शायद विभाग के शीर्ष अधिकारी यही चाहते हैं इसीलिए आबकारी विभाग के शीर्ष अधिकारी के इशारे पर भ्रष्टाचार और शराब तस्करी जैसे गंभीर आरोपों  से घिरे  आबकारी निरीक्षक स्वयं अपने नाम से आरटीआई लगाकर सूचनाए इकट्ठा कर रहा है और विपक्ष को देने की तैयारी कर रहा है।

क्यों रची जा रही है साजिश:

भरोसेमंद सूत्रों से जानकारी मिली है कि वर्ष 2019-20 में सहारनपुर की टपरी कोऑपरेटिव डिस्टलरी से लगभग 100 करोड रुपए की अवैध शराब संभल बदायूं उन्नाव तथा जौनपुर जनपद में लाइसेंसी दुकानों के माध्यम से बेची गई थी आरोपित जनपदों में निरीक्षक स्तर पर कार्रवाई की गई थी लेकिन बदायूं जनपद में जहां 50 करोड रुपए से अधिक की शराब अकेले अवैध रूप से बेची गई थी वहां तैनात रहे जिला आबकारी अधिकारी जो इस समय प्रयागराज के जिलाधिकारी हैं उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी तरह वाराणसी जनपद के डिप्टी एक्साइज कमिश्नर रहे दिलीप मणि त्रिपाठी जो वर्तमान में जॉइंट एक्साइज कमिश्नर मेरठ हैं इनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए थी क्योंकि वाराणसी के डिप्टी  एक्साइज कमिश्नर रहते जौनपुर में बड़े पैमाने पर करोड़ों रुपए की अवैध शराब बेची गई। इन पर कार्रवाई करने के बजाय वर्तमान आबकारी आयुक्त ने इनका प्रमोशन संयुक्त आबकारी आयुक्त के रूप में कर दिया मेरठ जैसे  महत्वपूर्ण जोन का चार्ज दे दिया गया।  इसी तरह जैनेंद्र उपाध्याय को भी जो उसे समय डिप्टी एक्साइज कमिश्नर लखनऊ थे तथा उनके डिवीजन में उन्नाव में बड़े पैमाने पर टपरी की अवैध शराब बेची गई उन्हें भी कोई दंड नहीं मिला बल्कि उन्हें भी पुरस्कार स्वरूप जॉइंट बना दिया गया और रिटायर भी हो गए।

2023 में शासन स्तर पर एक पत्र विभाग को भेजा गया जिसमें संभल बदायूं उन्नाव जौनपुर कानपुर जैसे जनपदों में जहां 100 करोड रुपए से अधिक की अवैध शराब बिकने का आरोप लगा वहां पर्यवेक्षणी दायित्व निभाने में विफल वाले अधिकारियों पर क्या कार्रवाई हुई इस संबंध में स्टेटस रिपोर्ट मांगा गया था लेकिन वर्तमान कमिश्नर ने इस पत्र को ही दबा लिया और आज तक कोई कार्रवाई नहीं की।

बोतल के बाहर कैसे निकला टपरी का जिन्न:

अब यह जानकारी आ रही है कि विपक्ष के एक विधायक ने इसी मामले में विधानसभा में एक क्वेश्चन लगा दिया है। टपरी शराब कांड के लोगों को कौन बचा रहा है टपरी शराब कांड के दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई यह ऐसे प्रश्न है जिससे पूरा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। बताया जा रहा है कि इस मामले में श्रावस्ती के जिला आबकारी अधिकारी घनश्याम मिश्रा प्रयागराज के जिला आबकारी अधिकारी सुशील मिश्रा मेरठ जोन के संयुक्त आबकारी आयुक्त सुनील मिश्रा और स्वयं आबकारी आयुक्त आदर्श सिंह की जवाब देही पर विभाग के मंत्री को जवाब देना होगा। जाहिर है कि विभाग के मंत्री ने इस मामले में विभाग से जवाब तैयार करने को कहा है। इस जवाब में कमिश्नर को यह बताना है कि उन्होंने शासन के पत्र पर कार्रवाई क्यों नहीं की । बदायूं में जिला आबकारी अधिकारी के रूप में करोड़ों रुपए की अवैध शराब बिकने के मामले में आरोपी सुशील मिश्रा जिला आबकारी अधिकारी प्रयागराज कैसे बने हुए हैं। कठिन प्रश्नों से बचने के लिए और मंत्री जी को ही दबाव में लाने के लिए विभाग के ही अधिकारी आरटीआई के जरिए अपने ही विभाग के सेवा निवृत अधिकारियों के मामले भी विपक्ष के माध्यम से विधानसभा में उठवाने की तैयारी कर रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है कि डिप्टी कार्मिक कुमार प्रभात चंद और आरोपी निरीक्षक जो स्वयं अपने नाम से आरटीआई मांग रहा है और जनपदों को डिप्टी कार्मिक फोन करके 72 घंटे में सूचना देने का दबाव बना रहे हैं इसके पीछे की मनसा क्या है क्या विभाग को विभाग ही बदनाम कर रहा है। क्या विभाग के शीर्ष अधिकारी विधानसभा में अपने ही मंत्री को  असहज  करने के लिए कोई बड़ा षड्यंत्र रच रहे हैं। यह कहना तो मुश्किल है लेकिन फिलहाल आबकारी विभाग विधानसभा में अपने ही विभाग को कटघरे में क्यों खड़ा करना चाहता है इसका जवाब तो केवल शीर्ष अधिकारी ही दे सकते हैं जिनके सारे पर यह षड्यंत्र रचा गया है।

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