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डीपीसी प्रक्रिया पर उठे सवाल – प्रमुख सचिव पर अर्ध न्यायिक शक्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप

लखनऊ। आबकारी विभाग में विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) को लेकर मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रमुख सचिव पर अर्धनायक शक्तियों का दुरुपयोग करने और मनमानी तरीके से सुनवाई प्रकरणों को प्रभावित करने का आरोप तेजी से उठ खड़ा हुआ है।

लंबित प्रकरण और मेजर पनिशमेंट का मनमाना खेल

विभागीय सूत्रों के अनुसार, अधिकारियों और कर्मचारियों के सालों से लंबित प्रकरणों की सुनवाई जानबूझकर अटका दी गई है। वहीं, मेजर पनिशमेंट देने में भी प्रमुख सचिव की मनमानी हावी है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि “लिफाफा बंद करने और खोलने” का कोई नियम विभाग में लागू नहीं है, जिससे भ्रष्टाचार और पक्षपात का खेल खुलेआम चल रहा है।

टपरी शराब कांड: गुनहगारों पर शिकंजा नहीं, मलाईदार पोस्टिंग!

प्रदेश में चर्चित टपरी शराब कांड में असली गुनहगारों को दंडित करने के बजाय मलाईदार पोस्टिंग दी गई। अरबों रुपये के इस घोटाले में वाराणसी व जौनपुर मण्डल में दिलीप मणि त्रिपाठी उप आबकारी आयुक्त रहे। आरोप है कि उनके कार्यकाल में करोड़ों रुपये की अवैध शराब की बिक्री हुई, बावजूद इसके प्रमुख सचिव ने उन्हें दो-दो क्षेत्रों का जॉइंट आबकारी आयुक्त बनाने के साथ-साथ जॉइंट ईआइबी का चार्ज भी सौंप दिया।

न्याय मांगने वालों को करियर बर्बाद करने की धमकी!

विभागीय अधिकारियों का आरोप है कि जो लोग कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं, उन्हें करियर बर्बाद करने की धमकी दी जाती है। सुनवाई प्रकरण में मनमानी की जाती है और ईमानदारी से आवाज उठाने वालों को प्रताड़ित किया जाता है।

प्रमुख सचिव पर गंभीर सवाल

  • डीपीसी प्रक्रिया में अर्धन्यायिक शक्तियों का दुरुपयोग
  • भ्रष्टाचार को संरक्षण, पारदर्शिता गायब
  • गुनहगारों को दंडित करने के बजाय मलाईदार पोस्टिंग
  • कोर्ट जाने वालों पर कार्रवाई और धमकी का सिलसिला

सवालों के घेरे में आबकारी विभाग की साख

यह पूरा मामला अब सिर्फ विभागीय लापरवाही का नहीं बल्कि मनमाने और अराजकता का है । अरबों के अवैध टपरी शराब घोटाले और शासन स्तर से संरक्षण की ओर सीधा इशारा करता है। प्रशासनिक गलियारों में यह चर्चा तेज है कि –
👉 टपरी शराब कांड के कई गुनहगार और संदिग्ध इस समय मलाईदार पोस्टिंग पर है। उनमें से दिलीप मणि त्रिपाठी भी शामिल है जो टपरी की अवैध शराब कांड में संदिग्ध है यह जानते हुए भी प्रमुख सचिव ने उसका प्रमोशन किया और एक स्पष्टीकरण तक नहीं मांगा कहां जा रहा है कि यह व्यक्ति इस समय प्रमुख सचिव का सबसे नजदीकी है। दिलीप मणि जैसे लोगों को संरक्षण देकर क्या विभाग और शासन यह संदेश देना चाहता है कि भ्रष्टाचार अब कोई मुद्दा नहीं है। 
👉 क्या टपरी शराब कांड के दोषियों पर शिकंजा कसेगा सिस्टम?
👉 या फिर यह मामला भी “लिफाफे की ताकत” के नीचे दब जाएगा?

इस पूरे घटनाक्रम ने आबकारी विभाग की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।


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