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““योगी मॉडल” पर वार? संजय प्रसाद को घेरने की कोशिशें के पीछे साजिश का इशारा? 

गोरखपुर से बाराबंकी तक—घटनाओं की कड़ियाँ बताती हैं कि मुख्यमंत्री की भरोसेमंद टीम को निशाना बनाया जा रहा है; अफ़वाह बनाम तथ्य का सच क्या है

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सियासत में बीते दिनों जो घटनाएँ दर्ज हुईं, वे सिर्फ़ अलग-अलग प्रकरण नहीं लगतीं—बल्कि एक सिलसिले की तरह दिखती हैं। पहले गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खास टीम‐मेंबरों को सोशल मीडिया पर निशाने पर लेने का मामला उछला। फिर बाराबंकी के एक निजी विश्वविद्यालय में छात्र-विरोध के उग्र होने के बाद कुछ हलकों ने “रामस्वरूप यूनिवर्सिटी कनेक्शन” का नैरेटिव खड़ा कर, सीधे मुख्यमंत्री के सबसे भरोसेमंद अफ़सर प्रमुख सचिव (गृह/सीएमओ) संजय प्रसाद पर सवाल खड़े करने की कोशिश की। राजनीति के जानकार इसे “योगी मॉडल” की रीढ़—यानी उनकी कोर टीम—को अस्थिर करने की रणनीति मान रहे हैं।


कौन हैं संजय प्रसाद, और क्यों हैं ‘टार्गेट’?

1995 बैच के IAS अधिकारी संजय प्रसाद वर्तमान में मुख्यमंत्री कार्यालय के साथ-साथ गृह, सूचना, गोपनीय, वीज़ा-पासपोर्ट और सतर्कता जैसे अहम विभागों की कमान संभालते हैं—यानी राज्य के शासन-प्रशासन के ‘कमान्ड सेंटर’ में उनकी भूमिका केंद्रीय है। यही वजह है कि किसी भी संवेदनशील स्थिति में उनकी निगरानी और त्वरित निर्णय-प्रक्रिया निर्णायक मानी जाती है। पिछले महीनों में भी क़ानून-व्यवस्था से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णयों और बड़े आयोजनों की तैयारी में वे फ्रंट-फुट पर दिखे।

पॉलिसी-लेवल संकेत: सांभल प्रकरण की न्यायिक जाँच रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाने की आधिकारिक पुष्टि खुद प्रमुख सचिव (गृह) संजय प्रसाद ने की—यानी वे संवेदनशील फ़ाइलों पर सरकार के ‘अधिकृत’ चेहरा हैं।


“साज़िश” का नैरेटिव—तथ्य, संदर्भ और सवाल

  • गोरखपुर एंगल: 29–31 अगस्त 2025 के बीच, गोरखपुर क्षेत्र में सीएम, उनके OSD और एक विधायक के ख़िलाफ़ अपमानजनक सोशल पोस्ट के चलते अलग-अलग थानों में कई FIR दर्ज हुईं। स्थानीय राजनीतिक रिश्तेदारी/कनेक्शन की चर्चा ने इसे ‘इनसाइड जॉब’ की शक्ल दी—यानी ‘वार भीतर से’। यह प्रकरण साफ़ तौर पर बताता है कि निशाना सरकार के सबसे नज़दीकी दायरे पर है। (यहां किसी ‘हमले’ की पुष्ट ख़बर नहीं, बल्कि सोशल मीडिया-आधारित उकसावे/अभद्र पोस्ट पर FIR का सिलसिला दर्ज है।)
  • बाराबंकी एंगल: 2 सितंबर 2025 को बाराबंकी के एक निजी विश्वविद्यालय में छात्रों का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया; लाठीचार्ज, हिरासत और डिग्री मान्यता जैसे आरोप—ये सब अपने आप में प्रशासनिक/विश्वविद्यालयीय मसले हैं। लेकिन फ़ौरन ही कुछ हलकों ने इसे “रामस्वरूप यूनिवर्सिटी कनेक्शन” की दिशा में मोड़कर संजय प्रसाद को ‘पॉइंट ऑफ़ अटैक’ बनाने की कोशिश की—जबकि अब तक ऐसी कड़ी का कोई आधिकारिक सबूत सामने नहीं आया है।
  • ऑपरेशनल ट्रैक-रेकॉर्ड: संवेदनशील क़ानून-व्यवस्था स्थितियों—चाहे बड़े सार्वजनिक आयोजन हों या सांभल जैसी घटनाओं की जाँच—में संजय प्रसाद की भूमिका “सिस्टम-फर्स्ट” एप्रोच की रही है। यही वजह है कि उन्हें सीएम की ‘ट्रस्टेड कोर’ का हिस्सा माना जाता है।

बड़ी तस्वीर: जब किसी सरकार की कोर-टीम न सिर्फ़ फ़ाइलों पर बल्कि ‘ग्राउंड एक्ज़ीक्यूशन’ में भी दृश्यमान और प्रभावी हो, तो राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का केंद्रीय निशाना वही टीम बनती है। मौजूदा प्रकरणों में समान धागा यह है कि वार सीधे ‘योगी टीम’ के सबसे भरोसेमंद पिवट पर है—और उसी से एक “साज़िश” का संकेत निकलता है।


अंदरखाने की फुसफुसाहट बनाम रिकॉर्ड पर मौजूद तथ्य

  • अंदरखाने का दावा (एट्रिब्यूटेड): पार्टी संगठन के कुछ प्रभावशाली लोगों ने बाराबंकी प्रकरण पर ‘कड़ी कार्रवाई’ के लिए उसी रात फोन पर निर्देश दिए—अगले ही दिन चौकी-इंचार्ज से लेकर CO तक बदलाव हो गए। (ये दावे राजनीतिक सूत्रों के हवाले से हैं; इनकी स्वतंत्र आधिकारिक पुष्टि शेष है।)
  • रिकॉर्डेड फैक्ट: बाराबंकी विश्वविद्यालय प्रकरण में पुलिस की त्वरित कार्रवाई और प्रशासनिक फेरबदल जैसी बातें स्थानीय आदेश-पत्र/प्रेस-नोट से स्पष्ट होंगी; अभी उपलब्ध सार्वजनिक रिपोर्टिंग छात्र-आंदोलन के घटनाक्रम तक सीमित है।

निष्कर्ष: अफ़वाहें और ‘सिलेक्टिव नैरेटिव’ उसी समय कामयाब होते हैं, जब तथ्यों की खिड़कियाँ बंद हों। अभी तक खुले रिकॉर्ड पर जो दिख रहा है, वह यह कि—

  1. गोरखपुर में ‘इनसाइड’ प्रोवोकेशन/अभद्र पोस्ट का मुद्दा उभरा;
  2. बाराबंकी में छात्र-आंदोलन विश्वविद्यालय प्रशासन बनाम छात्रों का प्रश्न था;
  3. संवेदनशील क़ानून-व्यवस्था मामलों में संजय प्रसाद सरकार का अधिकृत चेहरा बने हुए हैं।

  • Jul 2022: सीएम के OSD (उमेश सिंह उर्फ़ बल्लू राय) ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में मुक़दमा दर्ज कराया—CM के करीबी स्टाफ़ पर ऑनलाइन हमलों का पैटर्न नया नहीं है।
  • Jan 2025: प्रमुख सचिव संजय प्रसाद को फिर से गृह सहित कई अहम विभागों की ज़िम्मेदारी मिली—‘ट्रस्टेड कोर’ का संस्थागत संकेत।
  • Aug 2025 (29–31): गोरखपुर में CM/OSD/एक विधायक पर अभद्र पोस्ट—चार थानों में छह FIR; अंदरूनी राजनीतिक रिश्तेदारी की चर्चाएँ तेज़।
  • Aug 2025 (28): सांभल हिंसा की न्यायिक जाँच रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाने की आधिकारिक पुष्टि—संजय प्रसाद बतौर प्रिंसिपल सेक्रेटरी (होम) फ़्रंट-फ़ुट पर।
  • Sep 2, 2025: बाराबंकी निजी विश्वविद्यालय में छात्र-प्रदर्शन उग्र; कुछ हलकों की कोशिश—इसे ‘कनेक्शन’ के बहाने संजय प्रसाद तक पहुँचाने की। (कोई औपचारिक लिंक अब तक सार्वजनिक नहीं।)

“खबर की धार”: क्या देखना होगा आगे

  1. बाराबंकी केस-फाइल्स: पुलिस/डीएम के लिखित आदेश, ट्रांसफ़र/अटैचमेंट सूची और किसी भी स्तर की विभागीय कार्रवाई—यही तय करेगी कि “कड़े कदम” किस स्तर तक गए।
  2. डिजिटल ट्रेल्स: गोरखपुर वाले प्रकरण में सोशल पोस्ट, FIR की कॉपी, और आरोपियों की पृष्ठभूमि—यहीं से पता चलेगा कि उकसावे की लाइन कहाँ से निकली।
  3. CMO की ट्रस्ट-आर्किटेक्चर: बड़े आयोजनों/क़ानून-व्यवस्था फ़ाइलों में संजय प्रसाद की भूमिका बनी रहती है—तो यह राजनीतिक संदेश होगा कि ‘योगी टीम’ को तोड़ना आसान नहीं।

सियासी रणनीतियों का पहला नियम है—सबसे मज़बूत कड़ी पर वार करो। यूपी में यह कड़ी “योगी मॉडल” की कोर-टीम है, जिसका चेहरा संजय प्रसाद जैसे अफ़सर हैं। मौजूदा घटनाक्रम में अफ़वाह और चयनित नैरेटिव के सहारे उन्हें घेरने की कोशिश साफ़ दिखती है। लेकिन रिकॉर्ड यह भी बताता है कि सरकार ने संवेदनशील मामलों में उन्हीं पर भरोसा टिकाए रखा है। झूठे नैरेटिव ताज़ा खबरों की गति से फैल सकते हैं, पर टिकते वही तथ्य हैं जो फ़ाइलों और आदेश-पत्रों में दर्ज होते हैं।


संदर्भ लिंक (कुंजी तथ्य):

  • गोरखपुर में अभद्र पोस्ट/कई FIR (Aug 29–31, 2025).
  • बाराबंकी निजी विश्वविद्यालय में छात्र-प्रदर्शन/लाठीचार्ज रिपोर्ट (Sep 2, 2025).
  • संजय प्रसाद के पोर्टफोलियो/भूमिका (Jan 2025 के बाद का परिदृश्य).
  • सांभल जाँच रिपोर्ट पर आधिकारिक पुष्टि (Aug 2025).
  • बड़े सरकारी आयोजन/सीएम निरीक्षण में प्रमुख सचिव (होम) की मौजूदगी (Jul 2025).

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