
🟥 स्पेशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट
टपरी डिस्टिलरी शराब घोटाला: दोषियों को दंड नहीं, प्रमोशन और मलाईदार कुर्सियाँ!
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश की राजनीति और अफसरशाही को हिलाकर रख देने वाले टपरी कोऑपरेटिव डिस्टिलरी शराब घोटाले पर अब तक पर्देदारी जारी है। अरबों रुपये के इस घोटाले में जहाँ विभाग को टैक्स का भारी नुकसान हुआ, वहीं सवाल यह है कि एसआईटी की स्पष्ट संस्तुतियों के बावजूद दोषियों को सज़ा क्यों नहीं मिली?
🔎 विधानसभा में उठा यक्ष प्रश्न
समाजवादी पार्टी के विधायक रविदास महरोत्रा ने विधानसभा में यह मुद्दा उठाया।
10 फरवरी 2025 को पंजीकृत उनके अल्पसूचित तारांकित प्रश्न में यह तथ्य दर्ज है कि –
- बदायूँ जिले में तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी (30.06.2020 – 08.01.2021) के कार्यकाल में
- 15 ट्रक शराब बिना एक्साइज ड्यूटी जमा किए निकाली गई।
- एक-एक बिल्टी पर दो-दो ट्रक माल निकालने की अनियमितता हुई।
- इस घोटाले से सरकार को लगभग 11 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
- एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की सिफारिश की।
⚖️ एसआईटी की संस्तुति और सरकार की चुप्पी
जांच में श्रावस्ती के तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी घनश्याम मिश्रा और ज्वाइंट आबकारी आयुक्त (ईआईबी) दिलीप मणि त्रिपाठी का नाम सामने आया।
एसआईटी ने इन दोनों पर कार्रवाई की स्पष्ट सिफारिश की।
लेकिन नतीजा उल्टा निकला –
- घनश्याम मिश्रा पर कोई ठोस दंडात्मक कार्रवाई नहीं हुई।
- वहीं दिलीप मणि त्रिपाठी को पदोन्नति देकर मेरठ और लखनऊ जोन की मलाईदार पोस्टिंग सौंप दी गई।
🕴️ “प्रमुख सचिव और कमिश्नर के लाडले”
विपक्ष का आरोप है कि त्रिपाठी प्रमुख सचिव और आबकारी कमिश्नर के “लाडले अफसर” हैं।
इसी कारण घोटाले में संलिप्त होने और एसआईटी की रिपोर्ट के बावजूद उन्हें न केवल बचा लिया गया बल्कि और ताक़तवर कुर्सी दे दी गई।
विधायक महरोत्रा का कहना है –
“जब विधानसभा में पूछे गए सवाल का जवाब तक विभाग तैयार नहीं करता, तो साफ़ है कि दोषियों को बचाने के लिए ऊपर तक मिलीभगत है।”
❓ बड़े सवाल
- एसआईटी की रिपोर्ट के बावजूद दोषियों को दंडित क्यों नहीं किया गया?
- प्रमुख सचिव और कमिश्नर किन कारणों से इस घोटालेबाज़ अफसर पर मेहरबान हैं?
- क्या यह पूरा खेल बड़े नेटवर्क की सांठगांठ को बचाने के लिए चल रहा है?
- सरकार विधानसभा में पारदर्शी जवाब देने से क्यों बच रही है?
📌 राजनीतिक असर
- विपक्ष ने इसे “भ्रष्टाचार और संरक्षण का खुला खेल” बताया है।
- चर्चा है कि सरकार और विभागीय अफसरशाही मिलकर मामले को दबा रही है।
- जनता में यह सवाल तेज़ है कि जब दोषियों को सज़ा की बजाय प्रमोशन मिलता है, तो भ्रष्टाचार कैसे रुकेगा?
📝 निष्कर्ष
टपरी डिस्टिलरी शराब घोटाला केवल अवैध शराब कारोबार या टैक्स चोरी का मामला नहीं है। यह सत्ता और अफसरशाही के बीच गहरे संरक्षण तंत्र को उजागर करता है।
जब तक प्रमुख सचिव और कमिश्नर की भूमिका की निष्पक्ष जांच नहीं होती, तब तक यह पूरा मामला सिर्फ़ काग़ज़ों और सवालों तक सीमित रहेगा।
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