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फडणवीस बोले – भाजपा ऑर्गेनिकली ग्रो कर रही, संघ अब सिर्फ वैचारिक सहयोग तक


महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक इंटरव्यू में कहा कि भारतीय जनता पार्टी अब “ऑर्गेनिकली ग्रो” कर रही है और पहले जैसी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर निर्भरता से बाहर निकल चुकी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संघ का वैचारिक मार्गदर्शन भाजपा के लिए हमेशा जरूरी रहा है और आगे भी रहेगा।

यह बयान तब आया जब एक न्यूज एंकर ने उनसे पूछा कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि अब भाजपा को संघ की जरूरत नहीं। इस पर फडणवीस ने नड्डा का बचाव करते हुए कहा कि भाजपा अपने संगठनात्मक विस्तार के लिए खुद सक्षम है, लेकिन विचारधारा के स्तर पर संघ का सहयोग हमेशा रहेगा।


क्यों उठ रही है बहस?

फडणवीस का यह बयान भाजपा–संघ रिश्तों को लेकर नई बहस छेड़ रहा है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा अब संघ को केवल वैचारिक संगठन के रूप में मान्यता दे रही है और उसे अपना राजनीतिक निर्देशक मानने से इनकार कर रही है।

  • खबर का पहलू : भाजपा नेताओं के हालिया बयानों से यह संकेत मिलता है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व संघ की भूमिका को सीमित कर रहा है।
  • विश्लेषण का पहलू : यह भाजपा की रणनीतिक स्वतंत्रता को दिखाता है। पार्टी अब चाहती है कि संघ प्रेरणा स्रोत के रूप में बना रहे, लेकिन सत्ता और संगठन का नियंत्रण पूरी तरह भाजपा के हाथ में हो।

संघ की परंपरागत भूमिका

  • भाजपा के लिए कैडर तैयार करना
  • गली–मोहल्लों तक पहुँच और प्रचार
  • विचारधारा को जमीनी स्तर पर स्थापित करना

भाजपा का नया दृष्टिकोण

  • चुनाव जीतने और संगठन चलाने की क्षमता पार्टी अपने दम पर दिखाना चाहती है।
  • संघ को अब केवल “थिंक टैंक” या वैचारिक स्रोत के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।

संघ की असहजता

भाजपा की यह बदलती रणनीति संघ के भीतर असहजता पैदा कर सकती है।

  • संघ हमेशा मानता रहा है कि भाजपा उसकी राजनीतिक शाखा है और उसकी जड़ों से ही भाजपा का अस्तित्व है।
  • लेकिन भाजपा अब यह संदेश दे रही है कि उसका जनाधार और ताकत पार्टी की अपनी मेहनत और नेतृत्व की वजह से है।
  • संघ के पुराने कार्यकर्ताओं और प्रचारकों के लिए यह स्थिति असुविधाजनक हो सकती है, क्योंकि इससे उनकी भूमिका सीमित होती दिख रही है।

चुनावी रणनीति पर असर

  • भाजपा अब चुनावों में संघ के कैडर पर कम और अपनी सोशल मीडिया, रणनीतिक टीमों व संगठनात्मक तंत्र पर ज्यादा भरोसा कर रही है।
  • इससे भाजपा की छवि आधुनिक, स्वावलंबी और पेशेवर पार्टी के रूप में बन रही है।
  • हालांकि, जमीनी स्तर पर बूथ प्रबंधन और कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने में संघ की भूमिका अब भी अहम है।
  • यदि संघ पूरी ताकत से नहीं जुड़ा तो ग्रामीण इलाकों और पारंपरिक वोट बैंक में भाजपा को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

निष्कर्ष

फडणवीस का बयान संकेत देता है कि भाजपा और संघ का रिश्ता अब निर्भरता से वैचारिक सहयोग तक सिमट रहा है। भाजपा अपनी राजनीतिक स्वतंत्रता और संगठनात्मक ताकत को दिखाना चाहती है, जबकि संघ अपने योगदान की मान्यता चाहता है। आने वाले चुनावों में यह खींचतान और गहरी हो सकती है, जो दोनों संगठनों के रिश्तों को नई दिशा देगी।


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