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प्रयागराज। वर्तमान में आबकारी विभाग में विशेष सचिव के रूप में तैनात दिव्य प्रकाश गिरी का एक फर्जीवाड़ा सामने आया है। उन्होंने लखनऊ में प्राविधिक अधिकारी के रूप में तैनात अनिल वर्मा और मुख्यालय में प्राविधिक अधिकारी के रूप में तैनात दीपक रस्तोगी का फर्जी ट्रांसफर आदेश जारी कर दिया जबकि यह ट्रांसफर आदेश आज तक कार्मिक विभाग में पहुंचा ही नहीं है इस आदेश का कोई भी उल्लेख दोनों अधिकारियों के सर्विस बुक में आज तक नहीं हुआ है। दिव्य प्रकाश गिरी ने एडिशनल कमिश्नर रहते हुए कई तरह के करनामें किए थे लेकिन यह उन सभी कारनामों में अनूठा है जिसकी विभाग में बड़े पैमाने पर चर्चा है।
सभाजीत वर्मा के साथ मिलकर दिव्य प्रकाश गिरी ने किया था खेल
बताया जा रहा है कि यह फर्जी आदेश वर्तमान कमिश्नर सेंथिल पांडियन सी और तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर तथा आबकारी विभाग के वर्तमान विशेष सचिव दिव्य प्रकाश गिरी ने मनमाने ढंग से किया था। अनिल वर्मा ने अपनी पोस्टिंग के लिए कई लाख रुपए खर्च किए थे। यही वजह है कि वर्तमान में दिव्य प्रकाश गिरी के फर्जी आदेश से अनिल वर्मा के पास मेरठ और लखनऊ के आसपास की सभी डिस्टलरी सम्बद्ध किया गया है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि अनिल वर्मा के माध्यम से डिस्टलरी से लगभग 50 लख रुपए हर महीने वसूला जा रहा है और इस वसूली का एक बड़ा हिस्सा आज भी उच्च अधिकारियों में बंदर बांट होता है।
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