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महिला एवं बाल विकास विभाग में दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा भ्रष्टाचार: बाल गृहों में भोजन आपूर्ति में घपलों के लिए जिम्मेदार बीके निरंजन के समर्थन में खड़ी हुई मंत्री: डायरेक्टर और प्रमुख सचिव लाचार

लखनऊ।एक अधिकारी शासन प्रशासन सब पर भारी पड़ रहा है- बी. एस. निरंजन को महिला कल्याण विभाग द्वारा 30 जून 2023 को स्थानांतरण सत्र में समूह क के चार अधिकारियों के स्थानांतरण सूची में कानपुर मंडल में स्थानांतरित किया था। उक्त सूची में दो अधिकारी निदेशालय महिला कल्याण में तैनात /सम्बध्द थे, जिसमें प्रभावशाली वी.एस.निरंजन को निदेशालय महिला कल्याण की सम्बध्दता बरकरार रखते हुए उसकी नवीन तैनाती वाले कानपुर मंडल के लिए रिलीव नहीं किया गया। मजे की बात यह है कि वीएस निरंजन का दबदबा इस कदर है कि खुद मंत्री बेबी रानी मौर्य के मौखिक दबाव में विभाग की ओर से उसे नवीन पोस्टिंग स्थल के लिए कार्य मुक्त नहीं किया जा रहाहै।नवीन तैनाती दिए जाने के बावजूद आज की तिथि तक न जाने किस दबाव में निदेशालय महिला कल्याण द्वारा कार्य मुक्त नहीं किया गया है जो कि संदेह के घेरे में है जबकि पूर्व में भी शासन के अनुसचिव के पत्र के क्रम में श्री बी एस निरंजन को तत्काल निदेशालय महिला कल्याण से संबद्धता समाप्त करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए थे फिर भी श्री निरंजन उपनिदेशक महिला कल्याण कानपुर मंडल न जाने कितने प्रभावशाली हैं कि वह निदेशालय एवं शासन के सारे आदेशों को धता बताते हुए पूर्ववत निदेशालय महिला कल्याण में संबंध है ध्यातव्य है कि निदेशक महिला कल्याण द्वारा उनको कोई भी कार्य आवंटन न दिए जाने के बावजूद भी उनको न जाने किन अज्ञात दबाव में आज भी उनकी संबद्धता आज भी समाप्त नहीं की गई है जबकि उसी स्थानान्तरण सूची के दूसरे अधिकारी को दिनांक 30 जून 2023 के स्थानांतरण आदेश के क्रम में बस्ती स्थानांतरित करते हुए निदेशालय महिला कल्याण की संबद्धता समाप्त कर दी गई है!जिससे स्पष्ट रूप से प्रतीत हो रहा है कि एक समान प्रकरण में निदेशालय महिला कल्याण की दो अलग-अलग आंखे क्यों हैं जिससे निदेशालय महिला कल्याण भी संदेह के दायरे में खड़ा हो चुका है! ज्ञातव्य हो कि श्री बी .एस .निरंजन जब जिला परिवीक्षा अधिकारी लखनऊ के पद पर तैनात थे तत समय उनके विरुद्ध शासन के सचिव श्री जे.पी.सगर एवं श्री राम केवल द्वारा जनपद लखनऊ में उनके द्वारा की गई वित्तीय अनियमिताओं की गंभीर स्थलिय जांच की गई थी ,राजकीय संस्थानों में तमाम प्रकार की विसंगतियां पाई गई थी फिर भी दो शासन स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों की स्थलीय जांच रिपोर्ट के बावजूद मुख्य विकास अधिकारी लखनऊ द्वारा प्रेषित जांच आख्या में क्लीन चिट प्रश्न चिन्ह के दायरे में आ गई है ,जबकि अभी उक्त जांच में शासन स्तर से निर्णय लिया जाना लंबित है! ऐसे गंभीर प्रकरण में संलग्न होने के बावजूद श्री बीएस निरंजन इतना प्रभावशाली हैं उनको निदेशालय महिला कल्याण से कार्य मुक्त किए जाने में वरिष्ठ अधिकारी घबरा रहे हैं? इसी प्रकार से श्री जयदीप जिनका स्थानांतरण 2 साल पहले कानपुर नगर से सीतापुर जनपद में हो गया है फिर भी आज तक न तो उनका स्थानांतरण निरस्त हुआ है और न ही उन्हें शासन या निदेशालय स्तर से कार्यमुक्त ही किया गया है ?इसी प्रकार से बी के सिंह इस स्थानांतरण सूची में अपने 8 माह के अल्प कार्यकालके बावजूद अपने गृह जनपद के पास अपना स्थानांतरण कराने में सफल हो गए हैं.ऐसे में निदेशालय महिला कल्याण की योजना अधिकारी की कार्य शैली भी संदेहों के घेरे में है! एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह भी खड़ा हो रहा है कि अधिकतम राजकीय संस्थाओं से आच्छादित मंडलों यथा वाराणसी, प्रयागराज ,मेरठ,कानपुर,सहारनपुरआदि में आज तक मंडलीय अधिकारी की तैनाती न किया जाना एक महत्वपूर्ण प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है वह भी तब जब की माननीय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की एक पी. आई.एल .के प्रकरण में गंभीर टिप्पणी कि ‘राजकीय गृहों की हालत जेलों से भी बदतर हो गई है’ के बावजूद इन महत्वपूर्ण मंडलों के पदों को आज भी क्यों रिक्त रखा गया है ?जाहिर है कि मंडलीय अधिकारी इन मंडलों में तैनात रहेंगे तो उक्त मंडलीय जनपदों के जिला परिवीक्षा अधिकारी अनुरक्षण में एवं भोजन मद में अपनी खुल्लम खुल्ला लूट व्यवस्था को कैसे जारी रख पाएंगे??एक तरफ जहाँ महत्वपूर्ण मंडल वर्षों से रिक्त चल रहे हैं ऐसे में उपनिदेशक के स्वीकृत एक पद के सापेक्ष 5 उपनिदेशक की संबद्धता गंभीर चिंतन का विषय है जबकि यूनिसेफ के consultant’s परामर्श के दायरे से इतर पर्याप्त भूमिका अदा कर रहे हैं?

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