लखनऊ। मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुमोदन के एक माह बाद भी सहायक आपकारी आयुक्त और प्रोन्नति पाने वाले डिप्टी की तैनाती नहीं हो पाई है जिसको लेकर तरह-तरह की कहानी सामने आ रही हैं।
बताया जा रहा है कि आबकारी मुख्यालय और शासन के बीच जारी शीत युद्ध के चलते सहायक आबकारी आयुक्त और डिप्टी एक्साइज कमिश्नर की पोस्टिंग में दिक्कत आ रही है। चर्चा यह है कि आबकारी मुख्यालय से सहायक आबकारी आयुक्त और कुछ इंस्पेक्टर की पोस्टिंग के अनुमोदन के लिए जो लिस्ट शासन में भेजी गई थी वह लिस्ट उस समय विवादों में आ गई जब यह आरोप लगाया गया कि पोस्टिंग के लिए मुख्यालय के कार्मिक विभाग में तगड़ी वसूली हुई है। इस आरोप के बाद शासन में अनुमोदन के लिए भेजी गई सूची पूरी तरह संशोधित कर दी गई और मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दी गई। कहा जा रहा है कि 24 या 25 अक्टूबर को ही संशोधित सूची मुख्यमंत्री कार्यालय के यहां से अनुमोदित होकर शासन में आ गई और शासन ने अनुमोदित सूची मुख्यालय को भेज दी लेकिन संशोधित सूची में मुख्यालय से भेजा गया एक भी नाम शामिल नहीं था जिसके चलते आबकारी मुख्यालय ने शासन से अनुमोदित पोस्टिंग वाली सूची का आदेश जारी नहीं किया। कुछ कहानी यह भी कहीं जा रही है कि आबकारी मुख्यालय में तैनात रहे एक सहायक आबकारी आयुक्त निरीक्षक प्रसेन राय और निरीक्षक राजकुमार यादव ने वसूली तो कर ली लेकिन शासन से आने वाली अनुमोदित सूची में इनके कैंडिडेट का नाम नहीं था और इस बीच जिन लोगों ने भी पोस्टिंग के लिए पैसा दिया था वह दबाव बनाने लगे थे। पैसा लौटाने के बजाय इन लोगों ने शासन से अनुमोदित सूची को दबाकर रखना ज्यादा बेहतर समझा और अभी तक यह सूची जारी नहीं हुई।
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