कार्मिक में ही नियुक्ति और प्रोन्नति के 32 वर्ष पूरे:
प्रयागराज। आबकारी मुख्यालय में लोगो की एसीपी बाधित करना हो अथवा एसीआर गायब करना हो यह कार्मिक में तैनात निरीक्षक राजकुमार यादव के लिए बाएं हाथ का खेल है। राजकुमार यादव जिसकी कार्मिक में सिपाही के तौर पर नियुक्ति हुई बाद में यहीं पर बाबू के पद पर प्रमोशन हुआ और बाबू से निरीक्षक के पद पर प्रोन्नति पाने के बाद फिर से राजकुमार यादव कार्मिक में ही तैनात है। राजकुमार यादव पर ट्रांसफर पॉलिसी कभी लागू ही नहीं है। जब भी सिपाही से बाबू और बाबू से निरीक्षक पद पर डीपीसी होती है राजकुमार यादव की तिजोरी भारी हो जाती है। अगर चर्चाओं पर भरोसा करें तो कहा जाता है कि एसीपी और एसीआर की एंट्री बिना राजकुमार के संभव नहीं है और राजकुमार इसके लिए कम से कम 50000 रुपए वसूलत है हालांकि वह यह भी दावा करता रहा है कि यह वसूली वह आला अधिकारियों के लिए करता है। पिछले 15 वर्षों से यही काम प्रसेन राय भी कर रहा है। सवाल या उठ रहा है कि आखिर किसकी बदौलत प्रसेन राय और राजकुमार यादव जैसे भ्रष्ट निरीक्षक मुख्यालय में वर्षों से बने हुए हैं तो क्या यह उच्च अधिकारियों को केवल इसलिए प्रिय है क्योंकि यह दोनों उच्च अधिकारियों के वसूली एजेंट है। फिलहाल इन दोनों निरीक्षकों की वजह से आबकारी महकमें की बड़ी बदनामी हो रही है।
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