अवधभूमि

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नजरिया:    संविधान खतरे में तो है:

नई दिल्ली। प्रयागराज में पिछले 5 दिनों से यूपीएससी परीक्षा को लेकर लोक सेवा आयोग के बाहर और यूनिवर्सिटी के आसपास हजारों छात्रों का हुजूम प्रदर्शन कर रहा है। छात्र परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन का विरोध कर रहे हैं। उनको आशंका है कि नॉर्मलाइजेशन से प्रश्न पत्रों की सुरक्षा और परीक्षा की सुचिता दोनों ही प्रभावित होगी। छात्रों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही आदेश दे रखा है कि परीक्षाओं के लिए विज्ञप्ति प्रकाशित होने के बाद कोई भी संशोधन अवैध माना जाएगा फिर ऐसे में नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया को क्यों शामिल किया गया। सरकार फिलहाल प्रतियोगी परीक्षाओं की एक भी सुनने को तैयार नहीं है। लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष की भूमिका को भी सवालों के घेरे में माना जा रहा है। लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष की ईमानदारी उस समय तर तर हो गई जब पीसीएस जे की मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के कवर पेज बदल दिए गए थे और उस समय भी छात्रों ने भारी हंगामा किया था। छात्रों पर बल प्रयोग किया गया है कई छात्रों को प्रदर्शन के चलते हिरासत में ले लिया गया है लेकिन सरकार उनकी सुनने को तैयार नहीं है। दरअसल इसी तरह की स्थिति को लेकर विपक्ष में राहुल गांधी काफी मुखर हैं। उन्होंने पहले लोकसभा में और इस समय भी संविधान खतरे में होने की बात कही है। ऐसा उन्होंने इसलिए कहा है क्योंकि सरकार लगातार संविधान के मौलिक अधिकारों का मजाक बनाती जा रही है। विरोध प्रदर्शन की आवाजों को भी दबाने की कोशिश की जा रही है। जो संविधान तानाशाही के खिलाफ तैयार हुआ था एक बार फिर तानाशाही ही सर उठाकर खड़ी हो गई है। लाखों बच्चों का भविष्य अंधेरे में है लेकिन सरकार उनकी सुनने को तैयार नहीं है। प्रतियोगी छात्राओं का भी कहना है कि राहुल गांधी जो कह रहे हैं सही है। वास्तव में संविधान और उसमे वर्णित लोगों के मौलिक अधिकार खतरे में है।

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