प्रयागराज। फतेहपुर के जिला आबकारी अधिकारी सुरेश कुशवाहा की वसूली का वीडियो वायरल होने के बाद अब यह सवाल उठने लगा है कि इस वसूली गैंग का सरगना कौन है। विश्वसनीय और जानकार सूत्रों ने दावा किया है कि जॉइंट ईआईबी जैनेंद्र उपाध्याय के संरक्षण में यह वसूली चल रहा है। बताया जा रहा है कि छोटे जिलों में कम से कम 50000 और बड़े जिलों में एक लाख रुपए तक वसूली की जा रही है। यह वसूली ओवर रेटिंग शराब तस्करी के अवैध भंडारण और उत्पादन के लिए करवाई जाती है। इस तरह हर महीने तकरीबन एक से डे करो रुपए की वसूली होती है। सबसे हैरानी की बात या है कि यह वसूली कमिश्नर के नाम पर भी होती रही है। पूर्व कमिश्नर के पास यह जानकारी दी गई थी लेकिन उन्होंने किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जिससे इस आशंका को बल मिला था कि इस वसूली में उन्हें उन का हिस्सा मिल रहा था।
जिला आबकारी अधिकारी बिजनौर ने पूर्व कमिश्नर के घर पर भेजे थे 25 लाख रुपय के फर्नीचर
ऐसी चर्चा है कि पूर्व कमिश्नर सेंथिल पांडियन सी के आवास पर 25 लख रुपए की कीमत ही फर्नीचर भेजे थे। बदले में उन्हें ओवर रेटिंग और शराब के अवैध उत्पादन और भंडारण से कमाई की छूट दी गई थी।
डिप्टी बरेली की भूमिका भी संदिग्ध
वसूली के मामले में वर्तमान डिप्टी कमिश्नर बरेली भी काफी चर्चा में है कई मेरी निरीक्षकों ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया है कि यहां भी जमकर उगाही की जा रही है।
हरिश्चंद्र श्रीवास्तव और आलोक कुमार के लिए होती है अलग से वसूली
जानकारों का मानना है कि अवैध रूप से मंटोरा पोर्टल चला कर विभाग को करोड़ों रुपए का राजस्व क्षति पहुंचाने वाले पूर्व अपर आबकारी आयुक्त लाइसेंस हरिश्चंद्र श्रीवास्तव और डिप्टी लाइसेंस आलोक कुमार डिस्टलरी और गोदाम से जमकर वसूली कर रहे हैं। जानकारी मिली है कि डिप्टी लाइसेंस आलोक कुमार दिल्ली से प्रतिमाह लगभग दो लाख रुपया तक वसूलते हैं जिसमें एक हिस्सा हरिश्चंद्र वास्तव और एक हिस्सा कमिश्नर के नाम पर वसूल आ जाता है। वसूली के बदले डिस्टलरी को यू आर में हेरा फेरी करने की छूट दी जाती है।
सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर आबकारी विभाग में यह वर्ड वसूली कब रुकेगी और शराब माफियाओं को मनमानी करने की छूट कब तक चलेगी।
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