
नीतीश के पोस्टर से एनडीए गायब, क्या बिहार में फिर होगा ‘खेल’?
नई दिल्ली/पटना। बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नए पोस्टर से एनडीए और भाजपा का नाम पूरी तरह गायब हो गया है। इससे सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है कि क्या नीतीश कुमार एक बार फिर राजनीतिक ‘खेल’ की तैयारी में हैं?
शनिवार को जारी हुए इस पोस्टर में नीतीश कुमार अकेले नजर आ रहे हैं। पोस्टर पर न तो एनडीए का प्रतीक चिह्न है, न ही भाजपा का झंडा या कोई उल्लेख। इसके बजाय पोस्टर में ‘जनता के विकास का संकल्प, नीतीश कुमार का नेतृत्व’ जैसे नारे प्रमुखता से लिखे गए हैं।
भाजपा खेमे में मची हलचल
पोस्टर के सामने आने के बाद भाजपा नेताओं में बेचैनी बढ़ गई है। अंदरखाने की खबर है कि पार्टी ने इसे गंभीरता से लिया है। कई वरिष्ठ नेताओं ने दिल्ली हाईकमान को रिपोर्ट भेजी है कि यह कदम नीतीश कुमार की अगली राजनीतिक चाल का संकेत हो सकता है।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक, “यह संकेत शुभ नहीं है। पहले भी ऐसे ही संकेतों के बाद गठबंधन टूटा था।”
एनडीए के भीतर असहजता, विपक्ष में उत्साह
एनडीए के अन्य घटक दलों में भी बेचैनी है। वहीं महागठबंधन के नेता इसे लेकर तंज कस रहे हैं। आरजेडी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “नीतीश जी कभी स्थायी साथी नहीं रहे हैं, उनकी राजनीति मौके की राजनीति है।”
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि नीतीश कुमार का यह कदम भविष्य की संभावनाओं की जांच जैसा है। वे इस बात का परीक्षण कर रहे हैं कि भाजपा से अलग छवि पर जनता कैसी प्रतिक्रिया देती है।
एक विश्लेषक ने कहा — “पोस्टर राजनीति, बिहार में राजनीतिक तूफान का पहला संकेत होती है।”
अवध भूमि विश्लेषण:
नीतीश कुमार का नया पोस्टर सिर्फ प्रचार सामग्री नहीं, बल्कि बिहार की बदलती राजनीति की तस्वीर भी दिखाता है। क्या 2025 से पहले फिर होगा ‘खेल’?
इसका जवाब आने वाले दिनों में बिहार की सियासी सरगर्मियां खुद देंगी।




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