अवधभूमि

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लखनऊ। आबकारी की नई पॉलिसी में कंपोजिट दुकान का साइड इफेक्ट दिखने लगा है। साप्ताहिक समीक्षा बैठक में कंपोजिट दुकानों की बियर की बिक्री घट रही है जबकि अंग्रेजी शराब की बिक्री भी संतोष जनक नहीं है। इतना ही नहीं देसी शराब की बिक्री पर भी असर पड़ा है। प्रमुख सचिव और कमिश्नर इस बात से भी नाराज दिखाई दिए कि ओवर रेटिंग और शराब तस्करी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। इस मामले में अलीगढ़ की चर्चा हुई। कई जिलों में सिपाहियों और इंस्पेक्टर की तैनाती का भी सवाल उठा। बताया गया कि यह प्रकरण एडिशनल कमिश्नर देखेंगे। कुल मिलाकर हर हफ्ते ओवर रेटिंग शराब तस्करी और विभाग के घटते रेवेन्यू का जिक्र होता है लेकिन किसी तरह का कोई एक्शन नहीं होता।। इसीलिए अधिकारी भी इसे एक औपचारिक मीटिंग समझ कर डांट डपट सुनकर चुप हो जाते हैं। प्रमुख सचिव और कमिश्नर की बात को कोई भी अधिकारी अब गंभीरता से नहीं लेता है। बताया जा रहा है कि विभागीय अधिकारियों की मिली भगत से हजारों करोड़ का पुराना शराब का जखीरा अवैध रूप से बिक रहा है और यह खेल सबसे ज्यादा आगरा और लखनऊ जोन में हो रहा है इस जोन में कमिश्नर और प्रमुख सचिव के नजदीकी अधिकारी कमान संभालते हैं।

स्पाउस ग्राउंड पर आबकारी आयुक्त की मनमानी और अराजकता के चलते विभागीय मंत्री नाराज हैं और आज उन्हें इस वर्चुअल मीटिंग से जोड़ना था लेकिन उन्होंने इससे दूरी बना ली है।

बताया जा रहा है कि विभागीय मंत्री ट्रांसफर पोस्टिंग में धांधली को लेकर प्रमुख सचिव और कमिश्नर से स्पष्टीकरण मांग सकते हैं।

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