साजिश के तहत शीरे से बनी 36 व 25 डिग्री की देशी शराब का रोका जा रहा इंडेंट:
गोदाम पर बनाया जा रहा दबाव
लखनऊ। आबकारी आयुक्त में एक बड़े घोटाले की साजिश रची है। एक बड़ी शराब कंपनी के साथ डील के बाद उन्होंने लखनऊ गोंडा बहराइच लखीमपुर खीरी झांसी और प्रयागराज जैसे जनपदों में जिला आबकारी अधिकारियों के माध्यम से देसी शराब में केवल यूपीएमएल से बनी शराब का ही इंडेंट लगाने का दबाव बना दिया है। चर्चा है कि आबकारी आयुक्त ने कहा है कि शीरे से बनने वाली अन्य शराब कंपनियों की कम तीव्रता वाली यानी 36 और 25 डिग्री की देसी शराब का इंडेंट गोदाम पर लगाने से पूरी तरह रोका गया है और धमकी दी गई है कि जो गोदाम आबकारी आयुक्त की इच्छा का पालन नहीं करेंगे उनका गोदाम का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। पिछले तीन महीना का यदि लखीमपुर खीरी गोंडा झांसी प्रयागराज और लखनऊ के आंकड़े देखे जाएंगे तो आरोपी की पुष्टि होती नजर आ रही है। इन जनपदों में यूपीएमएल की एक खास शराब कंपनी के ही इंडेंट लगातार लग रहे हैं और देसी शराब में इसी कंपनी का 90% शेयर हो गया है।
₹5 हर पव्वा पर कमीशन की चर्चा:
लाइसेंसी दुकानों और गोदाम लाइसेंसी की बात पर यदि भरोसा किया जाए तो आबकारी मुख्यालय स्तर पर शराब कंपनी ने कमीशन तय कर दिया है और उसी का परिणाम है कि थोक गोदाम पर एक शराब कंपनी की देसी शराब का इंडेंट लगाने का खास तौर पर दबाव बनाया जा रहा है। कहां जा रहा है कि शराब कंपनी ने अपने 200 एमएल की पूछ पर ₹5 तक कमीशन दे रही है जिसकी वजह से पूरा विभाग और अधिकारी शराब कंपनी के सेल्स एजेंट बने हुए हैं। आबकारी नीति में स्पष्ट उल्लेख है कि कम तीव्रता वाली शीरे की बनी 36 डिग्री और 25 डिग्री की देसी शराब सभी रिटेल काउंटर पर होनी चाहिए लेकिन जब गोदाम पर ही इंडेंट नहीं लगने दिया जा रहा है तो आबकारी नीति का पालन कैसे होगा। शराब कंपनी और अधिकारियों की साजिश का पर्दा फास होना चाहिए। एक अनुमान के मुताबिक शराब कंपनी की ओर से प्रतिदिन अपना ब्रांड बेचने के लिए एक करोड़ से 2 करोड रुपए तक कमीशन दिया जा रहा है।
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