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लखनऊ में गांजा और चरस की ऑनलाइन डिलीवरी:

लखनऊ। एक समाचार पत्र के स्टिंग ऑपरेशन में सामने आया है कि लखनऊ में बड़े पैमाने पर गांजा और चरस की तस्करी की जा रही है। जानकारी के मुताबिक गोमती नगर अलीगंज चारबाग पॉलिटेक्निक चौराहे और तो और हजरतगंज के पास भी बहुत से तस्कर सक्रिय हैं। इस गांजा तस्करी का नेटवर्क पुलिस और आबकारी महक में के सीधे संपर्क में है। स्टिंग ऑपरेशन में एक गांजा तस्कर यह कहते हुए सुना जा रहा है कि बेखौफ गांजा बेचने के लिए पुलिस और विभाग को लाखों रुपए देना पड़ता है। अलीगंज में पुराने हनुमान मंदिर के पास गांजा खरीदने वालों की लाइन दिखाई दे रही थी। अवैध रूप से चल रहे इस गांजा तस्करी पर आबकारी विभाग की खामोशी यह बताने के लिए पर्याप्त है कि इसमें इसी महकमें के कई बड़े अधिकारी शामिल हैं। गांजे से होने वाली करोड़ों रुपए की कमाई का हिसाब किताब संभालने के लिए जॉइंट एक्साइज कमिश्नर ईआईबी जैनेंद्र उपाध्याय आजकल लखनऊ में ही रह रहे हैं तो क्या वह गांजा तस्करों के संपर्क में है या गांजा तस्कर उनकी देखरेख में यह अवैध काम कर रहे हैं इसकी जांच होनी ही चाहिए। एक अनुमान के मुताबिक  अकेले लखनऊ में प्रतिदिन 3 करोड रुपए से अधिक के गंज की अवैध तस्करी हो रही है। यह गंज छत्तीसगढ़ उड़ीसा और आंध्र प्रदेश से सब्जी के ट्रकों के माध्यम से हो रहा है। गांजा तस्करों ने पोर्टल बनाकर ऑनलाइन डिलीवरी भी शुरू कर दिया है लेकिन आबकारी विभाग और पुलिस महक में को इसकी कोई खबर नहीं है। लखनऊ में स्वयं आबकारी आयुक्त बैठते हैं लेकिन वह भी अवैध गांजा तस्करी से अनजान होने का नाटक करते हैं। आखिर लखनऊ में ही अगर गांजा तस्करी नहीं रख रही है तो तुरंत प्रभाव से आबकारी विभाग को टास्क फोर्स और ईआइबी को भंग कर देना चाहिए और उनके जॉइंट के खिलाफ मुकदमा दर्ज करना चाहिए लेकिन यह सब भ्रष्ट आबकारी आयुक्त आदर्श सिंह के बस की बात नहीं है।

मिली जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश पुलिस गांजा तस्करों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाने जा रही है देखना है इसमें बड़ी मछलियां फसती है या नहीं।

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