नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता और नेताओं की जुबान पर तीसरी बार भाजपा सरकार अबकी बार 400 पार जैसे नारे गूंज रहे हैं। भाजपा की ओर से जैसे-जैसे यह नारा बुलंद हो रहा है पिछड़े दलित और अल्पसंख्यक समाज इस नारे का अर्थ निकालने में जुट गया है। वह इस बात से हैरान है कि सरकार तो 273 सीट पर भी बन सकती है फिर 400 सीट क्यों मांगा जा रहा है । जब 400 सीट की बात आई तो उसका दिमाग संविधान की ओर चला गया। बिछड़े दलित और अल्पसंख्यक समुदाय को लगता है कि 400 सीट मिलने के बाद संविधान बदला जा सकता है। संविधान में पिछड़े दलित और अल्पसंख्यकों को मिले उनके अधिकार भी खत्म किया जा सकते हैं। इस विचार के बाद पिछड़े दलित और अल्पसंख्यक समाज के लोग भाजपा को संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं।
400 के नारे से क्यों सशंकित है पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक समुदाय
कई बार आरक्षण के खिलाफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत बोल चुके हैं इसके अलावा प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार ने भी संविधान में परिवर्तन को जरूरी बताया था जबकि समय-समय पर भाजपा के कई नेता भी खुलेआम 400 सीट मिलने पर संविधान बदलने की बात करते रहे हैं ऐसे में यह 400 सीट का नारा भाजपा के गले की फांस बनता दिखाई दे रहा है। गृह मंत्री अमित शाह हालांकि सफाई दे रहे हैं कि मोदी जी संविधान की रक्षा करेंगे आरक्षण खत्म नहीं होगा लेकिन अब यह बात लोगों के गले के नीचे नहीं उतर रहा।
संविधान बदलने के लिए भारतीय जनता पार्टी 400 सीट जीतना चाहती है यह संदेश पिछड़े दलित और अल्पसंख्यक समुदाय के सभी वर्गों तक पहुंच रहा है जिसकी वजह से भाजपा को काफी दिक्कत का सामना भी है। भाजपा को फीडबैक मिल रहा है कि 400 सीट का नारा से लोग संविधान को खतरे में देख रहे हैं। डैमेज कंट्रोल के तहत बड़े नेता आश्वासन भी दे रहे हैं लेकिन यह साफ सफाई लोगों के गले नहीं उतर रही है।
पिछड़े दलित और आदिवासी समाज में भाजपा के नारे को संदेश से देखा जा रहा है
2014 और 2019 के चुनाव में पिछला दलित और आदिवासी समुदाय के प्रचंड समर्थन से ही भाजपा को ऐतिहासिक सफलता मिली थी लेकिन अब इसी समुदाय में भाजपा के इरादे को लेकर संदेह जाहिर किया जा रहा है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा बार-बार संविधान के खतरे को लेकर जो आगाह किया जा रहा है इसका असर भी इस समुदाय पर दिखाई पड़ रहा है।
संविधान को खतरा बना चुनावी मुद्दा
इंडिया गठबंधन की ओर से संविधान को खतरा बताए जाने के बाद भाजपा के मुश्किलें बढ़ गई हैं। लोग अब खुलकर सवाल कर रहे हैं कि 400 सीट क्या संविधान बदलने के लिए मांगा जा रहा है और उसके जवाब में भाजपा की सफाई काफी कमजोर नजर आ रही है यही कारण है कि पूरे भारत में यह एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनता हुआ दिखाई दे रहा है। आने वाले समय में भाजपा इस चुनौती से कैसे निपटेगी यह देखना काफी दिलचस्प होगा।
सभी 543 सीटों पर है पिछड़े दलित आदिवासी और अल्पसंख्यकों का प्रभाव
इस चुनाव में संविधान को खतरा हालांकि विपक्ष की ओर से उतना बड़ा मुद्दा नहीं बनाया गया लेकिन भाजपा के 400 सीट के नारे से यह समुदाय शंकाग्रस्त हो गया है और अगर उसने संविधान बचाने के लिए भाजपा के 400 सीट के नारे को चुनौती के रूप में ले लिया और नकारात्मक वोटिंग कर दी तो भाजपा को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
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