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कहां गया कॉविड टैक्स से वसूला गया हजारों करोड़ रुपया:

लखनऊ। 2021 से 2024 तक कोविद-19 टैक्स के रूप में वसूला गया हजारों करोड रुपए कोरोना महामारी फंड में ना जमा करके आबकारी विभाग ने इसे अपना राजस्व घोषित कर दिया। बताया जा रहा है कि यह वसूली विभाग के तत्कालीन कमिश्नर पी गुरु प्रसाद ने और प्रमुख सचिव संजय भूस रेड्डी के आदेश पर शुरू हुई थी जो बाद में कमिश्नर सेंथिल पांडियन और वर्तमान कमिश्नर आदर्श सिंह के समय भी जारी है। सूत्रों का दावा है कि यह हजारों करोड़ रूपया जैसे कोरोना महामारी फंड में राज्य सरकार को जमा करना था उसको आबकारी विभाग ने अपना राजस्व आय घोषित कर दिया। इस खेल में तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर लाइसेंस हरिश्चंद्र श्रीवास्तव और डिप्टी एक्साइज कमिश्नर लाइसेंस आलोक कुमार के अलावा तत्कालीन आबकारी आयुक्त और प्रमुख सचिव भी शामिल रहे हैं। कोरोना महामारी के नाम पर विभिन्न ब्रांडों पर ₹10 ₹20 और ₹200 तक वसूला गया है तथा सूत्रों के अनुसार लगभग 1200 करोड रुपए की वसूली हुई है। कोरोना महामारी के नाम पर वसूली गई यह धनराशि राज्य सरकार के द्वारा स्थापित कोरोना फंड में जमा ही नहीं कराया गया बल्कि इसी धनु राशि को तत्कालीन तथा कथित जॉइंट डायरेक्टर स्टैटिक जोगिंदर सिंह ने आबकारी विभाग का राजस्व घोषित कर दिया। देखना होगा इतने बड़े फर्जीवाड़ा के बाद सरकार कोई कदम उठाती है या नहीं।

अवैध एडिशनल स्पेशल कंसीडरेशन फीस की वजह से बढ़ गए शराब के दाम:

शराब की smuggling क्यों होती हैं?

इसको एक उदाहरण के जरिए समझिए:

Tanquery नामक एक मशहूर gin की ब्रांड हैं जो हरियाणा में 1700/- की बोतल mrp मिलती हैं और उत्तर प्रदेश में 1880/- mrp हैं , अगर यह 200/- का फ़र्ज़ी टैक्स हटा दिया जाये, तब वही बोतल UP में 1680/- की बिक सकती हैं (जो कि हरियाणा से भी कम दाम हैं)
लोग अपनी गाड़ी में रख कर भी 2-4 बोतल नहीं लायेंगे ।

हर एक imported शराब की 750 ml की बोतल पर आबकारी विभाग 200/- special additional fees ले रहा जो कि पहले Covid fees के नाम पर ले रहा था ।
अब कोविड महामारी का आतंक तो हैं नहीं, फिर क्यों यह वसूली टैक्स लिया जा रहा हैं ?

सबसे बड़ा सवाल यह हैं कि अगर यह टैक्स शराब व्यापारियों से लिया जा रहा हैं, तब यह special consideration fees MGR और MGQ में क्यों नहीं जोड़ा जाता?

सिर्फ शराब पर टैक्स लेना, क्या समस्या का समाधान हैं?

यही 10-20-200 रूपए जो विभाग एक एैसे नाम पर ले रहा जो अस्तित्वहीन हैं ।

यह एक बहुत बड़ा स्कैम हैं यदि इसकी शासन स्तर पर जांच कराई जाएगी तो आबकारी विभाग का बहुत बड़ा घोटाला सामने आ जाएगा।

यही 10/- जो हर कैन पर विभाग ले रहा, वही 10/- अगर रिटेलर को 6/- होलसेल को 2/- और कंपनी को 2/- मिलेंगे, तब सबकी समस्या का समाधान हो जायेगा ।

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