अंसल ने दिया अंजाम:

लखनऊ। असल भूमि घोटाले का मास्टरमाइंड वास्तव में uprera प्रमुख संजय भुस रेड्डी ही है। असल तो एक मोहर मात्र है इस घोटाले के पीछे लखनऊ के एक पूर्व जिला अधिकारी राज्य के पूर्व एडवोकेट जनरल और एलडीए के पूर्व उपाध्यक्ष जो अंशल की कंपनी में वर्तमान में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में भी कार्यरत हैं और कई नौकरशाहों के लड़के और रिश्तेदार इसी कंपनी में लीगल एडवाइजर बनाए गए हैं इसके अलावा कई रिटायर्ड अधिकारियो का इसके पीछे पूरा पूरा सिंडिकेट है।
लेकिन सबसे बड़ा मास्टरमाइंड जिसे बताया जा रहा है वह वर्तमान में रेरा प्रमुख संजय भूस रेड्डी ही है।
संजय भूस रेडी ने कैसे लिखी घोटाले की स्क्रिप्ट:
लखनऊ विकास प्राधिकरण की 173 बोर्ड बैठक के 12 वे बिंदु में अंसल api द्वारा संशोधित dpr को अनुमोदन के प्रस्ताव पर बोर्ड ने इस शर्त के साथ अनुमोदन प्रदान किया था कि अंसल एपीआई जब तक कि अपने अनुमोदित dpr में मूलभूत सुविधाएं यथा सड़क पानी बिजली सिवर का पूर्ण विकास करके अपने ले आउट प्लान को स्वीकृति नहीं प्राप्त कर ले तब तक स्वीकृत dpr पर कोई विक्रय अथवा registree की कार्यवाही नहीं होगी. Uprera ने भी 2022 में भूखण्ड registree पर रोक लगा दी गई थी फिर uprera ने यह कह्ते हुए regisree की अनुमति प्रदान की कि ansal अपने लेआउट स्वीकृत कराते हुए मूलभूत सुविधाओं के साथ ही registerd सेक्टर में ही registree की कार्यवाही सम्पन्न करेगी. परंतु uprera की प्रथम दिन से ही शिथिलता की गयी.अंसल नेइस गोल्डेनमौके ka फायदाउठातेहुए ना केवल unregistered प्रोजेक्ट जैसे सेक्टर J,H में भारी मात्रा में रजिस्ट्री चालू kar दी अपितु इनकी अपूर्ण परियोजनाओं यथा सेक्टर H,MN OP आदि me करने लगे जबकि वर्ष 2019 में ही थर्डपार्टी ऑडिट में 606 करोड़ के फंड diversion हेतु सचेत किया गया.कैसे सन्यासी मुख्यमंत्री aur तेजतर्रार विधायक के भोलेपन aur विश्वास का हरण किया uprera प्रमुख संजय bhoosreddy ने…25 फरवरी 2025 ko nclt द्वारा संजय bhoosreddy ki mehrbaniyon se sarojni नगर sub registar द्वारा अंसल एपीआई ki तमाम registree se 650 cr lekar champat ho गए. Rera प्रमुख ने प्राधिकरणके मेल se तमाम आवंटियों ko mail karaya कि 25 फरवरी को n c l t ne ansal ko दिवालिया घोषित karne ki प्रक्रिया शुरू kar di hai.ab आप सब नवनियुक्त IPR नवनीत गुप्ता से dhanwapsi claim ka दावा करें अब rera ke सभी निर्णय thande बस्ते में चले गए हैं.यह ईमेल संजय bhoosreddy ke Ansalapi ke मालिकों से मिलीभगत ka सुस्पष्ट प्रमाण है एकतरफ इन्होंने Ansalapi को अवैध registree कराने की खुली छूट दी दूसरी तरफ up के कोने कोने से सुदूर पूर्वांचल तक ke हजारों घर बनाने ke सपनों ko देखनेवालों की 15 सालों से गाढी कमाई की पूँजी को भी चूना लगायाहै.kya ho सकताहै बेहतर विकल्प…. जिस प्रकार से नोएडा में जेपी इंफ्राटेक के मामले में सरकार ने तत्परता से कार्यवाही करते हुए प्रतिष्ठित बिल्डरों यथा सुरक्षा आदि ko भूखण्ड/अपार्टमेंट डेवलप करके dene ka कार्य किया गयाहै.उसी प्रकार से संजय bhoosreddy जैसे आदतन भ्रष्ट नौकरशाह को jail भेजने की karywahi करते हुए संपूर्ण Ansalapi का अधिग्रहण करते हुए आवंटियों ko उनका हक वापस दिलाए

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