
🔴 देशभर में SIR को लेकर बड़ी हलचल, EC ने सभी अधिकारियों को तैयार रहने को कहा
संभावना: बिहार के बाद देशव्यापी मतदाता सूची पुनरीक्षण, क्या लोकसभा चुनाव की तैयारी है?
नई दिल्ली। चुनाव आयोग (ECI) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे 30 सितंबर तक SIR (Special Intensive Revision) यानी विशेष गहन पुनरीक्षण की तैयारी पूरी कर लें। आयोग का यह कदम बिहार में हाल ही में लागू SIR के अनुभवों के बाद उठाया गया है। माना जा रहा है कि यह पहल केवल मतदाता सूची को “शुद्ध” बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि आने वाले चुनावों के लिए ज़मीनी तैयारी भी हो सकती है।
क्या है SIR
- SIR का मतलब है मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण, जिसमें घर-घर जाकर सत्यापन, मृत या स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाना और नए मतदाताओं को जोड़ना शामिल है।
- इसके लिए BLO (बूथ लेवल अधिकारी), निर्वाचन अधिकारी और सहायक निर्वाचन अधिकारियों को तैनात किया जाता है।
- बिहार में इस प्रक्रिया के दौरान दस्तावेज़ों की सख्त जाँच हुई, जिसके बाद कुछ विवाद और आपत्तियाँ भी सामने आई थीं।
चुनाव आयोग की तैयारी
- आयोग ने राज्यों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि 30 सितंबर तक BLO और अन्य अधिकारियों की नियुक्ति व प्रशिक्षण पूरा कर लिया जाए।
- अक्टूबर-नवंबर से देशव्यापी स्तर पर प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
- दिल्ली, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में प्रारंभिक तैयारियाँ तेज़ हो गई हैं।
राजनीतिक हलचल
- सत्ताधारी दल इसे मतदाता सूची की पारदर्शिता और शुद्धता के लिए ज़रूरी कदम बता रहे हैं।
- विपक्षी दलों का आरोप है कि इस प्रक्रिया का इस्तेमाल खास वर्गों और क्षेत्रों से मतदाताओं को बाहर करने के लिए किया जा सकता है।
- सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट किया है कि यदि प्रक्रिया में कोई अनियमितता पाई गई तो वह दखल देगा।
विश्लेषण : क्या चुनावी संकेत हैं?
- समयसीमा पर नज़र – 30 सितंबर तक सभी राज्यों को तैयार रहने का आदेश बताता है कि आयोग तेजी से काम करना चाहता है।
- लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखना – हालांकि लोकसभा चुनाव की घोषणा अभी नहीं हुई है, लेकिन आयोग की सक्रियता संकेत देती है कि वह किसी भी संभावना के लिए वोटर लिस्ट को तैयार करना चाहता है।
- राज्यवार असर – पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल जैसे राज्यों में 2026 में विधानसभा चुनाव हैं, वहाँ यह कदम महत्वपूर्ण होगा। वहीं, मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में भी अगर SIR लागू हुआ तो लोकसभा सीटों पर असर पड़ सकता है।
- जनता पर असर – जिन मतदाताओं के पास दस्तावेज़ों की कमी है, उन्हें दिक्कत आ सकती है। ग्रामीण और वंचित वर्गों में यह मुद्दा बड़ा बन सकता है।
निष्कर्ष
चुनाव आयोग का SIR अभियान केवल तकनीकी कवायद नहीं है, बल्कि यह आने वाले समय में भारतीय राजनीति की दिशा तय कर सकता है। बिहार में हुए प्रयोग के बाद अब यदि यह देशभर में लागू होता है, तो 2026 के विधानसभा चुनाव और उससे पहले लोकसभा चुनाव के लिए यह एक निर्णायक आधार बन सकता है।
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