
इनसाइड स्टोरी: टास्क फोर्स में तैनाती के बावजूद अमित अग्रवाल की मोलासेस में बढ़ती सक्रियता पर विभागीय चर्चाएँ तेज
उत्तर प्रदेश आबकारी विभाग में इन दिनों एक नाम लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है—अमित अग्रवाल। आधिकारिक तैनाती टास्क फोर्स में होने के बावजूद, विभागीय हलकों में चर्चा है कि उनकी सक्रियता का केंद्र मोलासेस सेक्शन बना हुआ है। यह असामान्य परिस्थिति कई सवाल खड़े कर रही है, जिन पर विभाग के भीतर गहन फुसफुसाहट जारी है।
टास्क फोर्स से अधिक मोलासेस विंग में गतिविधियाँ — क्यों?
सूत्रों के अनुसार, कई अधिकारियों ने यह सवाल उठाया है कि
“जब नियुक्ति टास्क फोर्स में है, तो मोलासेस से जुड़े फाइल मूवमेंट, मुलाकातें और गतिविधियाँ इतनी अधिक क्यों दिखाई दे रही हैं?”
कुछ अधिकारियों का कहना है कि
टास्क फोर्स का काम फील्ड में आकस्मिक निरीक्षण, प्रवर्तन और इंटेलिजेंस आधारित ऐक्शन होता है,
जबकि
मोलासेस सेक्शन मुख्यतः लाइसेंसिंग, आवंटन और पॉलिसी इंप्लीमेंटेशन से जुड़ा होता है।
इन दोनों शाखाओं की प्रकृति बिल्कुल अलग है, इसलिए किसी अधिकारी की गतिविधियों का दूसरे विंग में देखा जाना विभागीय स्तर पर स्वाभाविक रूप से सवाल पैदा कर रहा है।
सीसीटीवी पर भी उठ रहे सवाल
विभागीय सूत्र यह भी दावा कर रहे हैं कि
“सीसीटीवी फुटेज से साफ हो जाएगा कि किसी दिन अधिकारी किस विंग में समय बिता रहे हैं — टास्क फोर्स ऑफिस में या मोलासेस शाखा में।”?
मोलासेस (शीरा) को लेकर हर वर्ष आवंटन, ट्रांसपोर्ट, स्टोरेज और डिस्टिलरी से जुड़े कई संवेदनशील निर्णय होते हैं।
विभागीय सूत्र बताते हैं कि
“जहाँ मोलासेस है, वहाँ प्रभाव, लॉबिंग और आर्थिक हित भी स्वाभाविक रूप से जुड़े होते हैं।”
इसी कारण, यदि कोई अधिकारी अपने निर्धारित कार्यक्षेत्र से बाहर इस विंग में अधिक सक्रिय दिखता है, तो यह बात स्वतः चर्चा में आ जाती है।
विभागीय इनसाइडर्स के अनुसार कौन-कौन से प्रश्न उठ रहे हैं
- क्या टास्क फोर्स की जिम्मेदारियों में मोलासेस से जुड़ा कोई विशेष कार्य सौंपा गया है?
यदि हाँ तो उसका स्पष्ट आदेश क्यों सार्वजनिक नहीं है? - क्या अधिकारी को मोलासेस फाइलों में किसी विशेष समन्वय भूमिका के लिए मौखिक निर्देश दिए गए हैं?
- क्या यह सक्रियता विभागीय पॉलिसी अपडेट या किसी पेंडिंग फाइल से जुड़ी है?
- कई अधिकारियों के अनुसार—यदि गतिविधि प्राकृतिक है तो पारदर्शिता के लिए ‘वर्क असाइनमेंट’ की स्पष्टता क्यों नहीं है?
संभावित विभागीय कार्रवाई क्या हो सकती है? (यदि किसी जांच में तथ्य सामने आते हैं)
यह सब केवल विभागीय नियमों पर आधारित सामान्य जानकारी है:
- कार्य दायित्वों की समीक्षा (Work Assignment Audit)
किस अधिकारी को किस कार्य के लिए अधिकृत किया गया—इसकी फाइल समीक्षा। - सीसीटीवी फुटेज व लॉग बुक की जांच
वास्तविक कार्यक्षेत्र की पुष्टि के लिए यह एक मानक प्रक्रिया है। - विभागीय स्पष्टीकरण (Show Cause Notice)
तैनाती और वास्तविक गतिविधियों में अंतर मिलने पर अधिकारी से स्पष्टीकरण लिया जा सकता है। - आंतरिक सतर्कता जांच (Preliminary Inquiry)
यदि किसी भी तरह का हित-संघर्ष या अनुचित प्रभाव की संभावना लगती है तो प्राथमिक जांच स्थापित की जा सकती है। - कार्यस्थल पुनर्विनियोजन (Re-Posting)
जांच लंबित होने पर अधिकारी को न्यूट्रल पोस्टिंग पर भेजना सामान्य प्रक्रिया मानी जाती है।
अंदरखाने चिंता क्या है?
कुछ अधिकारियों का कहना है कि
“यदि तैनाती औपचारिक रूप से एक जगह है लेकिन गतिविधियाँ दूसरी जगह हों, तो यह विभाग की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर असर डालता है।”
दूसरी ओर, कुछ लोग यह भी मानते हैं कि
“संभव है कि वरिष्ठ स्तर से कोई विशेष कार्य सौंपा गया हो जिसकी जानकारी नीचे के स्तर तक साझा न की गई हो।”
इसी अस्पष्टता ने पूरे मुद्दे को ‘चर्चा में बने रहने’ वाली स्थिति बना दिया है।




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