अवधभूमि

हिंदी न्यूज़, हिंदी समाचार

आबकारी विभाग में ट्रेस एंड ट्रेक कार्यक्रम में 540 करोड़ का घपला: 5 वर्ष पहले हुआ टेंडर 80% डिवाइसों की आज तक नहीं हुई आपूर्ति: पूर्व प्रमुख सचिव संजय भूसरेड्डी और अपर आबकारी आयुक्त लाइसेंस हरीश चंद्र श्रीवास्तव पर लगे गंभीर आरोप: ओएसिस की घटिया स्केनर डिवाइस की खरीद में जबरदस्त धांधली

लखनऊ। उत्तर प्रदेश आबकारी महकमे में घपले घोटालों की सीरीज बनती जा रही है। अब जानकारी मिली है कि डिस्टलरी से अवैध निकासी और अवैध शराब की बिक्री को रोकने के लिए जिस ट्रेक एंड ट्रेस सिस्टम को लागू करने की बात कही जा रही थी वह पूर्व प्रमुख सचिव संजय भूसरेड्डी और अपर आबकारी आयुक्त लाइसेंस हरीश चंद्र श्रीवास्तव की लूट खसोट का शिकार हो गई है। कहां जा रहा है कि पूर्व कमिश्नर पी गुरुप्रसाद हरीश चंद्र श्रीवास्तव और पूर्व प्रमुख सचिव संजय भूसरेड्डी ने योजना बनाकर ट्रेस एंड ट्रेक सिस्टम को लागू करने के नाम पर उस ओएसिस कंपनी को डिवाइस आपूर्ति का ठेका दिया जो कई राज्यों में ब्लैक लिस्टेड भी है। कंपनी को 544 करोड रुपए इस बात के लिए दिए गए थे कि वह डिस्टलरी में क्यूआर स्कैनर सीसीटीवी और डिस्टलरी से निकलने वाली ट्रकों में जीपीआरएस डिवाइस इंस्टॉल करेगी। इसके अलावा cl2 fl2 और लाइसेंसी दुकानों पर भी पीओएस मशीन और सीसीटीवी उपलब्ध कराएगी लेकिन ओएसिस ने 5 वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक निविदा के अनुसार डिवाइस नहीं उपलब्ध कराई। बार-बार प्रमुख सचिव के पास ओएसिस की डिवाइस नहीं मिलने और मिली भी डिवाइस की गुणवत्ता बेहद खराब होने की शिकायतें होती रही लेकिन संजय भूसरेड्डी ने ओएसिस पर कार्रवाई करने के बजाय इसकी डिवाइस पर सवाल उठाने वाले कई इंस्पेक्टर और लाइसेंसी पर ही कार्रवाई कर दी। ओएसिस के प्रति संजय भूसरेड्डी के झुकाव को देखते हुए बहुत से अधिकारी डर गए और उन्होंने घटिया डिवाइस होने के बावजूद ओएसिस पर चुप्पी साध ली।

सबसे गंभीर सवाल यह खड़ा हो रहा है कि यदि टेंडर की शर्तों के अनुसार 1 वर्ष के भीतर ही ओएसिस को लगभग 14000 क्यूआर स्केनर डिवाइस डिस्टलरी लाइसेंसी cl2 और fl2 पर तैनात करना था तो उसने आज तक 80% डिवाइस क्यों नहीं आपूर्ति की। टेंडर शर्तों का स्पष्ट उल्लंघन करने के बाद भी आपूर्तिकर्ता फर्मके विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं हुई। यह कुछ ऐसे सवाल हैं जो सीधे-सीधे संजय भूसरेड्डी और उसके बाद पी गुरुप्रसाद तथा वर्तमान कमिश्नर सेंट्रल पांडियन सी को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है।

क्यूआर स्कैनर ना उपलब्ध करा कर क्या शराब माफियाओं की मदद कर रहे थे संजय भूसरेड्डी और वर्तमान कमिश्नर:

सूत्रों की बात पर यकीन करें तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चर्चित शराब माफियाओं की डिस्टलरी तथा उसके स्वामित्व वाली cl2 fl2 में चल रही धांधली और अवैध शराब की बिक्री और उत्पादन को लेकर पूर्व प्रमुख सचिव और वर्तमान कमिश्नर उदासीन रहे यही कारण है कि अधिकारियों और कई डिस्टलरी के अनुरोध के बाद भी उन्हें गुणवत्ता युक्त और बेहतर क्यूआर स्केनर डिवाइस उपलब्ध नहीं कराई गई। सूत्रों का कहना है कि प्रतिमाह सैकड़ों करोड़ रुपए का वारा न्यारा हुआ । यह भी कहा जा रहा है कि क्यूआर स्कैनर के अभाव में जितने क्यूआर जारी हो रहे हैं उसका मात्र 20% ही स्कैन हो पा रहा है। यही वजह है कि शराब माफिया धड़ल्ले के साथ ओवर रेटिंग मिलावट और खराब गुणवत्ता वाली शराब और बिक्री कर रहे हैं सरकार को प्रतिदिन करोड़ों रुपए का राजस्व का चूना लगा रहे हैं। बताने की जरूरत नहीं कि इस खेल में पूर्व प्रमुख सचिव पूरी तरह लिप्त रहे।

ओएसिस के पक्ष में एडिशनल कमिश्नर और कमिश्नर की धमकी:

जानकारी मिल रही है कि वीडियो कांफ्रेंसिंग में अडिशनल कमिश्नर सत्यप्रकाश और कमीशन सेंथिल पांडियन सी ने खुली धमकी दी है कि अगले कुछ दिनों में अगर mentora पोर्टल का डाटा अगर ओएसिस डिवाइस पर ट्रांसफर नहीं हुआ तो संबंधित आबकारी निरीक्षकों को बर्खास्त किया जाएगा।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में यह भी कहा गया कि अगर ओएसिस की डिवाइस घटिया है खराब है तो बाजार से दूसरी डिवाइस खरीद कर उस पर ओएसिस का सॉफ्टवेयर अपलोड कर लें। एडिशनल कमिश्नर की इस सलाह पर लोग हक्के बक्के रह गए। कुछ लोगों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि यदि कमिश्नर की सलाह के अनुसार अगर डिवाइस बाजार से ली गयी तो माफियाओं पर नियंत्रण करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाएगा।

एडीशनल कमिश्नर और कमिश्नर की ओएसिस कंपनी के प्रति वफादारी को देखते हुए आबकारी निरीक्षक और प्रवर्तन दल के सदस्यों में खासी बेचैनी देखी जा रही है।

हरीश चंद्र श्रीवास्तव की अपनी खुद की कंपनी है मेंटोरा

क्यूआर में हेराफेरी कर शराब माफियाओं को मदद पहुंचाने वाले हरीश चंद्र श्रीवास्तव जोकि पोर्टल का भी दायित्व देखते हैं कहा जा रहा है कि उनके ही रिश्तेदार की कंपनी मेंटोरा है। डिस्टलरी के बॉटलिंग प्लांट में जितने क्यूआर जारी किए जाते हैं उसका प्रबंधन मेंटोरा करती है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि अवैध शराब की निकासी बिक्री और उत्पादन में हरीश चंद्र श्रीवास्तव का पूर्ण नियंत्रण है। हजारों करोड़ के इस खेल में संजय भूसरेड्डी भी शामिल थे।

एक तरफ जहां ओवर रेटिंग और मिलावट को लेकर आबकारी निरीक्षकों को कमिश्नर और एडिशनल कमिश्नर बर्खास्त करने की धमकी दे रहे हैं वहीं दूसरी ओर ओवर रेटिंग और मिलावट के जरिए उत्तर प्रदेश सरकार को हर साल कम से कम 1 हजार करोड़ रुपये का चूना लगाने वाले शराब माफियाओं की सिफारिश पर आबकारी निरीक्षकों एसीई डिप्टी और जॉइंट की तैनाती की गई है।

About Author

You may have missed