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संजय भूसरेड्डी का खेल जारी: पद से हटाए जाने के बावजूद अपने आवास से जारी कर रहे हैं बैक डेट में आदेश: लखनऊ के चर्चित लवाना केस में मुख्य आरोपी जैनेंद्र उपाध्याय को किया दोषमुक्त: निलंबन अवधि का वेतन जारी करने का दिया निर्देश

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बेहद करीबी और डिजिटल अल्कोहल मीटर, ट्रेस एंड ट्रेक सिस्टम खरीद में 540 करोड रुपए के घोटाले के मास्टरमाइंड पूर्व प्रमुख सचिव संजय भूसरेड्डी जो 29 जून को ही हटा दिए गए उनके द्वारा अभी भी स्याह सफेद का काम जारी है। अत्यंत भरोसेमंद सूत्रों से पता चला है कि लखनऊ में तैनात एक एईसी द्वारा उन्होंने कई फाइलों को अपने आवास पर मंगा लिया और पिछली तिथियों में कई विवादित प्रकरण में आदेश जारी कर दिया। इसी क्रम में पता चला है कि लखनऊ के चर्चित लवाना होटल कांड के मास्टरमाइंड और वर्तमान में मुख्यालय पर तैनात ईआईबी जैनेंद्र उपाध्याय जिनका निलंबन अवधि का वेतन रोका गया था उनकी पत्रावली को रिटायरमेंट के बाद यानी 3 जुलाई को अपने आवास पर फाइल मंगाकर उनके निलंबन अवधि का वेतन जारी करने का आदेश दे दिया।

लवाना प्रकरण में जैनेंद्र उपाध्याय पर नियमों की अनदेखी करते हुए बार का लाइसेंस जारी करने का आरोप लगा था। खुद मुख्यमंत्री ने प्रकरण का संज्ञान लिया था और उनके आदेश पर जैनेंद्र उपाध्याय को निलंबित किया गया था लेकिन संजय भूसरेड्डी के साथ अपनी करीबी संबंधों के चलते बिना किसी कार्रवाई के जैनेंद्र उपाध्याय बहाल हो गए। उनकी बहाली पर गंभीर सवाल भी उठे थे लेकिन इन सवालों पर संजय भूसरेड्डी ने कोई ध्यान नहीं दिया और अब जबकि वह रिटायर हो चुके हैं उन्होंने मनमानी करते हुए अवैध रूप से जैनेंद्र उपाध्याय को दोषमुक्त करते हुए निलंबन अवधि का उनका अवशेष वेतन जारी करने का आदेश भी कर दिया।

अपनी न्यायिक शक्तियों को विशेष सचिव निधि गुप्ता को अवैध रूप से किया डेलीगेट :

संजय भूसरेड्डी के पाप की कहानियां ही नहीं समाप्त होती। संजय भूसरेड्डी में एक शासनादेश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि किसी भी अधिकारी कर्मचारी को आंशिक रूप से दोषी नहीं ठहराया जाएगा जब भी दोषी ठहराया जाएगा उसे पूर्ण रूप से दोषी करार दिया जाएगा लेकिन अपने ही आदेश को डस्टबिन में डालते हुए आंशिक रूप से दोषी ठहराए गए कम से कम 50 जिला आबकारी अधिकारी और 200 से ज्यादा आबकारी निरीक्षक को को ना केवल चार्जशीट दी गई बल्कि उनकी अंतिम सुनवाई संजय भूसरेड्डी ने खुद ना सुनकर अपनी न्यायिक शक्तियों को विशेष सचिव निधि गुप्ता को डेलीगेट किया और निधि गुप्ता ने अवैध रूप से संजय भूसरेड्डी के कहने पर तमाम अधिकारियों की 5 से ज्यादा इंक्रीमेंट रोक दी और कई अधिकारियों को कई सालों से वेतन पर भी रोक लगा रखी है। अनुशासन और अपील नियमावली 1999 में स्पष्ट रूप से वर्णित है कि लघु रूप से दोषी पाए गए किसी भी कर्मचारी को आरोप पत्र नहीं जारी किया जा सकता उससे केवल स्पष्टीकरण मांगा जा सकता है। संजय भूसरेड्डी को इस नियम के बारे में जानकारी थी इसीलिए अंतिम सुनवाई स्वयं ना करके दबाव डालकर अपने अधीनस्थ विशेष सचिव निधि गुप्ता से सुनवाई कराई और मनमाने ढंग से अधिकारियों कर्मचारियों को दंडित करवाया।

जैनेंद्र उपाध्याय के लिए ही राज्य स्तरीय समिति का गठन क्यों

तमाम गंभीर आरोपों में घिरे हुए जैनेंद्र उपाध्याय पर संजय भूसरेड्डी की यह महान कृपा क्यों हुई। क्या संजय भूसरेड्डी के जैनेंद्र उपाध्याय के साथ कारोबारी रिश्ते हैं। क्या जैनेंद्र उपाध्याय द्वारा संजय भूसरेड्डी को अनुचित रुप से कोई लाभ पहुंचाया गया। यह सवाल इसीलिए उठाया जा रहा है क्योंकि जिस तरह आनन-फानन में लखनऊ के लवाना होटल अग्नि कांड में जिसमें कम से कम 10 लोग मारे गए थे उस प्रकरण में मुख्यमंत्री के आदेश पर जैनेंद्र उपाध्याय को दोषी मानते हुए सस्पेंड कर दिया गया था बावजूद इसके संजय भूसरेड्डी में मुख्यमंत्री के आदेश की ऐसी तैसी करते हुए मनमाने ढंग से अपने अधीन राज्य स्तरीय समिति गठित कर पहले जैनेंद्र उपाध्याय को क्लीन चिट दिया और अब दागी जैनेंद्र उपाध्याय को EIB का भी चार्ज दे दिया।

भूसरेड्डी के इस कारनामे की चारों ओर चर्चा हो रही है।

जब संजय भूसरेड्डी 29 जून को ही हटा दिए गए तो किस अधिकार से 29 व 30 जून को अधिकारियों के ट्रांसफर के आदेश:

यह चर्चा जोर पकड़ चुकी है कि संजय भूसरेड्डी अपने रिटायरमेंट यानी 30 जून से पहले 29 जून को ही हटा दिए गए थे तो फिर उन्होंने AEC DEO के ट्रांसफर के आदेश कैसे जारी किए। उससे भी बड़ा सवाल यह कि यह सारे आदेश मानव संपदा पोर्टल से ना जारी करके मैनुअली ट्रांसफर आदेश जारी क्यों किए। कहां जा रहा है कि इस ट्रांसफर पोस्टिंग में लगभग 4 करोड रुपए की वसूली की गयी।

लोकायुक्त और आयकर विभाग में आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच का सामना कर रहे विवादित तकनीकी अधिकारी सभाजीत वर्मा के सेवा विस्तार को दी अपनी मंजूरी

संजय भूसरेड्डी की मनमानी यही नहीं रही उन्होंने करोड़ों रुपए आय से अधिक संपत्ति मामले में लोकायुक्त और आयकर विभाग की जांच का सामना कर रहे सभाजीत वर्मा जिनकी इसी माह में सेवा समाप्त हो रही है उनके सेवा विस्तार के लिए संजय भूसरेड्डी ने पिछली तिथियों में उनके ऊपर लगे सभी आपत्तियों और आरोपों को एक तरफा सुनवाई करते हुए निस्तारित किया और पत्रावली को मुख्यमंत्री के यहां भिजवाने का काम किया। संजय भूसरेड्डी के सत्य निष्ठा पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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