नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर फ्रांस यात्रा की तैयारी में है। कहा जा रहा है कि राफेल बनाने वाली कंपनी द साल्ट के साथ एक बार फिर राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए 90 1000 करोड़ रुपए की डील करने वाले हैं। इस बीच खबर आ रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चांस पहुंचने से पहले राफेल घोटाले का जिन्न फिर से बाहर आ गया है। वहां के मशहूर मीडिया हाउस मीडिया पार्ट को एक पत्र हाथ लगा है जिसमें अनिल अंबानी की फ्रेंच कंपनी का 154 मिलियन यूरो टैक्स माफ किया है। पत्र में भारत सरकार का भी जिक्र है। इस बड़े खुलासे के बाद फ्रांस की राजनीति में तूफान आ गया है। कहा जा रहा है कि यह पत्र वर्तमान राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों को उस समय लिखा गया था जब वहां आर्थिक मामलों के मंत्री थे। इसी पत्र के बाद अनिल अंबानी की प्रिंस कंपनी का 148 मिलियन यूरोटेक्स माफ हो गया था और मात्र 6 मिलीयन यूरो ही उनको चुकाने पड़े। फ्रांस के मुख्य विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए पूरे मामले के जांच की मांग की है।
अनिल अंबानी की कंपनी भारत में हुई दिवालिया
राफेल बनाने वाली द साल्ट कंपनी ने भारत में जिस रिलायंस डिफेंस को अपना साझेदार बनाया था उसने ऋण नहीं चुका पाने की वजह से स्वयं को दिवालिया घोषित कर लिया है ऐसे में राफेल के कलपुर्जे भारत में बनने की संभावना न के बराबर है। इसको लेकर भारत में तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं उन्हीं सवालों में सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस समय फ्रांस की यात्रा क्यों कर रहे हैं जब राफेल सौदा सवालों के घेरे में है। और सबसे बड़ा सवाल यह कि अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस के दिवालिया होने के बाद भारत में द साल्ट कंपनी के लिए नया साझेदार कौन होगा क्या वह अदानी और अंबानी ग्रुप के बाहर से होगा इसको लेकर तरह-तरह के कयास बाजी लग रहे हैं।
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