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भाजपा सांसद ने योगी मंत्री पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप: सांसद नीरज शेखर ने कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य पर लगाए ट्रांसफर पोस्टिंग में धांधली के आरोप: प्रमुख सचिव भी सवालों के घेरे में

लखनऊ। भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली योगी सरकार की वरिष्ठ मंत्री बेबी रानी मौर्य पर ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर बेहद गंभीर आरोप लगे हैं। भूतपूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र और राज्यसभा सांसद नीरज शेखर ने इसको लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है।

महिलाओं का कल्याण करने वाले विभाग के अधिकारी अपने कल्याण के लिए इस कदर बेचैन और परेशान हैं की उन्होंने खुद को नियमों से ऊपर मान लिया है और इस बात की तस्दीक उत्तर प्रदेश में महिला कल्याण विभाग में हुए कुछ तबादले करते दिखते हैं।

इन तबादलों में घोर अनियमतता देखने को मिली थी, कई जगह शिकायतें हुई लेकिन कार्यवाही कुछ नहीं हो पाई। ट्रांसफर में एक ओर जहां छह से आठ साल तक एक ही जगह पर जमे अधिकारी वहीं जमे हैं, वहीं दूसरी ओर छह माह में भी कुछ अधिकारियों का तबादला कर दिया गया था।

आबादी के मामले में सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में महिला कल्याण विभाग में कुल 18 उपनिदेशक के सापेक्ष वर्तमान में कुल 16 उपनिदेशक विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं. इनमें से मुख्यालय सहित विभिन्न मण्डल में पांच उपनिदेशक ऐसे हैं, जो छह लेकर से आठ वर्ष तक लगातार एक ही पद पर तैनात या सम्बद्ध हैं जिनपर कृपा आज भी बनी हुई है। उपनिदेशकों की बात करें तो लखनऊ मुख्यालय में एक उपनिदेशक 2015 से तैनात हैं, पहले शिक्षा महकमे के जरिए बच्चों के शिक्षित करने वाले यह उपनिदेशक इन दिनों महिलाओं के कल्याण वाले विभाग में महिलाओं के कल्याण की बातें करते नज़र आते हैं तो वहीं नीता अहरिवाल बरेली मंडल में छह साल से उपनिदेशक पद पर तैनात हैं, अनु सिंह निदेशालय में आठ साल से हैं, आशुतोष निदेशालय व लखनऊ में आठ साल से तैनात हैं, वहीं राजेश चंद्र मुरादाबाद में छह साल से तैनात हैं।

अगर बात उपनिदेशक प्रभात रंजन की करें तो उनका जुलाई 2021 मे विन्धयाचल मण्डल मीरजापुर से महाप्रबंधक महिला कल्याण निगम के पद पर स्थानांतरण हुआ, जून 2022 मे पुनः महिला कल्याण निगम से स्थानांतरित करते हुए उपनिदेशक बस्ती मण्डल फिर स्थानांतरण करते हुए सम्बद्ध निदेशालय महिला कल्याण लखनऊ किया गया। अब इस वर्ष 2023 मे पुनः बस्ती मण्डल भेज दिया गया है जबकि वर्ष 2015 -16 मे भी बस्ती मण्डल में उप निदेशक के पद पर तैनात रह चुके हैं। बस्ती मण्डल में आज तक कोई कार्यालय भी नहीं है, पिछले 30 जून को जारी चार उपनिदेशकों के स्थानांतरण आदेश में दो उपनिदेशक ऐसे हैं, जिन्हें दो साल में दो बार स्थानान्तरित किया गया है।

उपनिदेशक बी के सिंह को चार जनवरी 2022 को वाराणसी मण्डल में तैनात किया गया लेकिन आचार संहिता के कारण बाध्य प्रतिक्षारत रहते हुए 10 माह बाद नवम्बर 2022 में सहारनपुर में तैनाती दी गई थी, परन्तु अभी 30 जून 2023 को कुल चार उपनिदेशक के स्थानांतरण आदेश में बी के सिंह को भी मात्र आठ माह के बाद ही आजमगढ़ मण्डल से स्थानांतरित कर दिया गया। यह भी उल्लेखनीय है कि वाराणासी, प्रयागराज जैसे महत्वपूर्ण मण्डल में उप निदेशक के पद आज भी रिक्त हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति 12 जिला परविक्षा अधिकारियों के तबादलों में भी देखने को मिला था।

कुछ मण्डलों पर डिप्टी डायरेक्टर तो पोस्टेड हैं लेकिन स्टाफ और ऑफिस ही नहीं है, ऐसे में फूल सैलरी पाने वाले अधिकारी काम करें तो करें कैसे? अलीगढ़, बस्ती और प्रयागराज मण्डल में कार्यालय ही नहीं है तो सहारनपुर, मेरठ, चित्रकूट, आजमगढ़ में कोई स्टाफ नहीं है और प्रयागराज, वाराणसी, अलीगढ़, आजमगढ मण्डल में कोई अधिकारी ही नियुक्त नहीं है।

महिला कल्याण निदेशालय में कार्यरत आकांक्षा अग्रवाल के विरुद्ध 7 बिंदु पर शासकीय सेवा हितों के विपरीत भ्रष्टाचार विषयक शासकीय क्षति पहुंचाने का आरोप लगा था, जिसकी जांच की कार्यवाही आज भी लम्बित है ।

सोनभद्र जिलाधिकारी द्वारा तत्कालीन जिला प्रोबेशन अधिकारी अमरेंद्र प्रोत्साहन के खिलाफ वित्तीय और प्रशासनिक जांच हेतु 3 सदस्य समिति से जांच कराई गई जांच समिति द्वारा लगभग ₹ 17 लाख के वित्तीय गमन प्रकाश में लाते हुए अपनी आख्या प्रस्तुत की गई थी जिसपर जिलाधिकारी सोनभद्र द्वारा जिला प्रोबेशन अधिकारी अमरेंद्र प्रोत्साहन के विरुद्ध कार्यवाही हेतु पत्र प्रेषित किया गया। उक्त प्रकरण में भी आकांक्षा अग्रवाल पर जांच को लंबित बनाए रखने का आरोप लगा और शासन द्वारा अमरेंद्र प्रोत्साहन की संबद्धता निदेशालय किए जाने वाले आदेश को दबाकर नियम विरुद्ध जालौन में अमरेंद्र को डीपीओ बनाया गया।

भ्रष्टाचार एवं गबन के आरोप में कार्मिक सुनील सिंह, नवनीत रंजन , शैलेन्द्र पाण्डेय , , प्रदीप कुमार केयरटेकर मिर्जापुर, बच्चा लाल यादव प्रोबेशन अधिकारी आजमगढ़, प्रवीण कुमार त्रिपाठी प्रभारी जिला प्रोबेशन अधिकारी वाराणसी, शक्ति त्रिपाठी मिर्ज़ापुर , अनुराग रस्तोगी मथुरा के विरुद्ध भ्रष्टाचार की लंबित शिकायतें हैं लेकिन इन मामलों में जाँच के नाम पर खानापूर्ति व कार्यवाही लम्बित रखते हुए इन अधिकारियों की पोस्टिंग इनके मनचाहे स्थान पर कर दी गई।

आकांक्षा अग्रवाल के ऊपर यह भी आरोप लगते हैं कि इन्होने योजना अधिकारी स्थापना के पद पर 3 वर्षों से कार्यरत रहते हुए मानव संपदा पोर्टल के समस्त अभिलेख नहीं भरवाए जाने से वार्षिक स्थानांतरण नीति 2022 – 23 एवं 2023 – 24 में वार्षिक स्थानांतरण मानव संपदा पोर्टल से नहीं हुए जिसका एकमात्र उद्देश्य यह था कि विगत 2 वर्षों से इनके द्वारा कर्मचारियों का स्थानांतरण पॉलिसी के विपरीत प्रथम श्रेणी के अधिकारियों से लेकर चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों तक का स्थानांतरण किया गया।

जिला प्रोबेशन कार्यालय लखनऊ के लिपिक का स्टिंग ऑपरेशन में नाम आने के बाद डीपीओ कार्यालय लखनऊ के बाबू को निलंबित कर दिया गया परंतु साठगांठ करके कार्रवाई बाधित की गई सुनील कुमार सिंह की जांच उप निदेशक श्री आशुतोष सिंह द्वारा की गई थी। जांच में स्पष्ट रूप से शासकीय हितों के विपरीत कार्य करने हेतु दोषी माना गया परंतु योजना अधिकारी स्थापना आकांक्षा अग्रवाल पर दोष मुक्त करते हुए हुए उपहार स्वरूप पूर्व पटल रखते हुए अतिरिक्त रूप से नजारत का कार्यभार देने का आरोप लगा था

जेम की प्रक्रिया को बाधित रखते हुए आर के इंटरप्राइजेज के साथ सांठगांठ कर नियम विरुद्ध कार्य किया गया कार्मिकों के शोषण के साथ ही संवैधानिक दायित्व इपीएफ ईएसआई एवं जीएसटी में भारी गोलमाल कर वित्तीय क्षति पहुंचाई गई है कार्मिकों के चयन और उनके बनाए गए नियमों के विपरीत समस्त प्रक्रिया को आसान करते हुए अप्रैल 2022 में आर के इंटरप्राइजेज का पुनः चयन किया गया, जबकि शासन व वित्तीय स्वीकृति नहीं है ।

प्रभारी नजारत ने वित्तीय नियमों एवं प्रक्रियाओं के विपरीत गाड़ियों के संचालन का कार्य निदेशालय महिला कल्याण में कराया गया स्पष्ट रूप से टेंडर आदि के विपरीत कार्य किए गए जिसमें कई गाड़ियों के बिना चले ही भुगतान किया गया शासकीय वाहनों एवं वाहन चालकों की उपलब्धता के बाद भी प्राइवेट गाड़ियों की संबद्धता स्वयं के साथ-साथ अन्य अधिकारियों के साथ दिखाते हुए वित्तीय क्षति श की गई है। उपनिदेशक पुनीत मिश्रा के पास शासकीय वाहन होने के बावजूद भी निजी वाहन उपलब्ध कराए गया। इन वाहनों का मासिक किराया निर्धारण शासन द्वारा ना तो अनुमोदित है और ना ही वित्त विभाग की स्वीकृति है जबकि शासकीय वाहन एवं चालक उपलब्ध होने के बावजूद भी निजी वाहनों की प्रयोग करके शासकीय क्षति पहुंचाई गई।

महिला कल्याण विभाग द्वारा संचालित राजकीय संस्थाएं जो बच्चों के देखभाल हेतु बनाई गई हैं उनके संचालन हेतु निर्धारित पदों अधीक्षक केस वर्कर और प्रोबेशन अधिकारी के मूल पदीय दायित्व के साथ उन्हें संस्थाओं में इन पदों के रिक्त रहते हुए भी जनपदों में प्रभारी जिला प्रवेश अधिकारी की तैनाती गलत तरीके से दी गई है। निरंजन सम्बद्धता समाप्त होने के बाद भी दो साल से मुख्यालय बने हुए हैं वर्तमान में पुनः स्थानांतरण कानपुर होने के बाद भी यथावत मुख्यालय में है इसी प्रकार जयदीप स्थानांतरण कानपुर से होने के बाद भी दो साल से यथावत कानपुर में है । तृतीय, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों का भी यही हाल है प्रदीप कुमार मजिस्ट्रेट की जांच मे दोषी होने और स्थानांतरण के बाद भी मिर्जापुर मे यथावत है जबकि भ्रष्टाचार के गम्भीर मामले प्रकाश मे आये जिसकी रिपोर्ट जजों ने भी दी ।
महिलाओं का कल्याण करने वाले विभाग के अधिकारी अपने कल्याण के लिए इस कदर बेचैन और परेशान हैं की उन्होंने खुद को नियमों से ऊपर मान लिया है और इस बात की तस्दीक उत्तर प्रदेश में महिला कल्याण विभाग में हुए कुछ तबादले करते दिखते हैं.

उल्लेखनीय यह भी है कि बाल गिरी बालिका सहारनपुर में प्रबंधक वीपी सिंह द्वारा किए गए बालिकाओं के प्रति शोषण एवं उनको समय से भोजन ना दिए जाने और उनकी अधीक्षक पिंकी द्वारा पिटाई किए जाने के मामले में एवं जिला प्रोबेशन अधिकारी श्री अभिषेक कुमार पांडे द्वारा उक्त संस्था का निरीक्षण न किए जाने एवं प्रकरण में 20 दिन विलंब से f.i.r. किए जाने आदि के प्रकरण में आयुक्त सहारनपुर मंडल द्वारा एक गंभीर रिपोर्ट श्री अभिषेक पांडे के विरुद्ध कार्रवाई हेतु दिनांक 30 जून 2023 को शासन को प्रेषित की गई थी परंतु आज एक माह से ऊपर व्यतीत हो गया है फिर भी उस पर कोई भी कार्रवाई शासन द्वारा ऐसे लापरवाह जिला प्रोबेशन अधिकारी श्री अभिषेक पांडे के विरुद्ध नहीं की गई ज्ञातव्य हो कि पूर्व में भी श्री अभिषेक पांडे देवरिया में तैनात रहे हैं और इन्हीं के कार्यकाल में ही देवरिया शेल्टर होम कांड बालिकाओं की संस्था में घटित हुआ था फिर भी इनकी लापरवाही से शासन द्वारा तीसरी कोई बड़ी घटना का इंतजार किया जा रहा है

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