अवधभूमि

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आबकारी विभाग में अपना सिंडिकेट बना रहे कमिश्नर:

झांसी के डिप्टी सुभाष चंद्र सोनकर को डिप्टी लाइसेंस बनाए जाने के बाद उठने लगे सवाल:

सुभाष चंद्र सोनकर अपने खास बाबुओं को झांसी से लेकर पहुंचे मुख्यालय

प्रयागराज। डॉक्टर आदर्श सिंह की ईमानदारी की पोल खुलने लगी है। आबकारी आयुक्त बनने के बाद उनके पूरे परिवार का रुतबा आबकारी विभाग पर दिखाई दे रहा है। ऐसी चर्चा है कि जिला आबकारी अधिकारी सुशील मिश्रा उनका और उनके परिवार का निजी खर्च उठा रहे हैं जिसकी वजह से सुशील मिश्रा आबकारी आयुक्त की नाक के बाल बने हुए हैं। यह वही सुशील मिश्रा है जो टपरी कांड में मास्टरमाइंड बताया जा रहे हैं। बता दे कि 20 – 21 में लंबे समय तक सहारनपुर के टपरी की सहकारी डिस्टलरी से कई ट्रक शराब अवैध रूप से बदायूं में बिकती रही पकड़ी गई फिर भी सुशील मिश्रा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई उस समय भी सुशील मिश्रा तत्कालीन कमिश्नर गुरु प्रसाद के घर की सेवा पानी करते थे और मौज में थे आज भी कमिश्नर के बंगले में महंगे टाइल्स और उनके सुख सुविधाओं का ध्यान रखते हैं इसीलिए कमिश्नर ने आबकारी विभाग चलाने का जिम्मा सुशील मिश्रा को सौंप दिया है। प्रयागराज में अवैध शराब की बिक्री और भंडारण के लिए कुछ इंस्पेक्टर बाधक बने हुए थे जिसे सुशील मिश्रा ने रास्ते से हटा दिया और अलीगढ़ में प्रवर्तन में तैनात एक शातिर इंस्पेक्टर को फूलपुर में तनाती दे दिया। आबकारी मुख्यालय में खुली चर्चा है कि आबकारी आयुक्त इस कार्यालय को चलाने की जिम्मेदारी एक फर्जी जॉइंट डायरेक्टर जोगिंदर सिंह प्रयागराज के आबकारी अधिकारी सुशील मिश्रा, अवैध रूप से कार्मिक में भी दखल दे रहे मुबारक अली और शैलेंद्र तिवारी पर छोड़ रखा है।

झांसी में आदर्श सिंह के बेहद नजदीकी थे सुभाष चंद्र सोनकर:

सुभाष चंद्र सोनकर डॉक्टर आदर्श सिंह के संपर्क में उस समय आए जब वह झांसी के कमिश्नर थे। सुभाष चंद्र सोनकर उस समय भी अपनी सेवा पानी से आदर्श सिंह का दिल जीत लिया था जिसका इनाम आबकारी आयुक्त बनने पर डॉक्टर आदर्श सिंह ने सुभाष चंद्र सोनकर को दिया है। सुभाष चंद्र सोनकर विभाग में अवैध वसूली और अन्य कामों से काफी चर्चा में रहे हैं।

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