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गोपनीय फंड के गोपनीय खाते:

लखनऊ। आबकारी विभाग में गोपनीय फंड की लूट के चर्चा जोर पकड़ने लगी है। अब कहा जा रहा है कि मुखबिर फंड के नाम पर कई खातों में पैसे डाले गए और पैसे निकाल कर  आला हाकिम को दे दिए गए। आबकारी आयुक्त की भूमिका पूरी तरह सवालों के घेरे में है। अब यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि उनके निजी सहायक रहे मुकेश गुप्ता के खाते में भी मुखबिर फंड का पैसा ट्रांसफर किया गया था । इन आरोपों में कितनी सच्चाई है इसकी पुष्टि तभी होगी जब इस फंड की निष्पक्षता से जांच हो।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश में आबकारी विभाग की 570 सर्कल है। पंजाबी कहां जा रहा है कि हर सर्कल के लिए प्रतिमा 8 से ₹10000 आता है लेकिन यह रकम सर्किल इंस्पेक्टर को नहीं मिलता है फिर भी यह रकम उपभोग कर ली जाती है। सवाल पैदा होता है कि जब सर्किल इंस्पेक्टर के खाते में यह रकम नहीं भेजी गई तो यह रकम किसके पास गई। गोपनील फंड की ऑडिट आज तक क्यों नहीं कराई गई। सूत्रों का दावा है कि यह रकम आबकारी आयुक्त कार्यालय स्तर से ही बंदर बांट हो जा रही है। ऐसे में आबकारी आयुक्त के निजी सहायक के खाते में गोपनील फंड ट्रांसफर होने की बात बेहद गंभीर है। मुकेश गुप्ता इस समय रिटायर हो चुके हैं। सूत्रों ने यह भी दावा किया है कि करीब करीब आधा दर्जन अधिकारी और कर्मचारी  के खाते में अभी मुखबिर फंड की धनराशि ट्रांसफर हो रही है जो आबकारी आयुक्त के ही करीबी बताया जा रहे हैं। पंजाबी दावा किया गया है कि पूर्व जॉइंट एक्साइज कमिश्नर जैनेंद्र उपाध्याय और उनके तमाम करीबियों के खाते में भी फ गोपनीय फंड ट्रांसफर किए गए थे। फिलहाल गोपनीय फंड की लूट की जिस तरह चर्चा हो रही है उसकी जांच जरूर होनी चाहिए ताकि दूध का दूध पानी का पानी हो सके।

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