लखनऊ। आबकारी मुख्यालय में तैनाद डिप्टी कार्मिक राजेंद्र कुमार का एक से बढ़कर एक कारनामा सामने आ रहा है। पता चला है कि यहां पर अपनी पत्नी के नाम उन्होंने कोटक महिंद्रा इंश्योरेंस पॉलिसी बेचने की एजेंसी ले रखा है। कहां जा रहा है कि बहुत से इंस्पेक्टर और तमाम अधिकारियों पर उनकी चार्ज शीट लंबित है उन पर दबाव बनाकर इंश्योरेंस पॉलिसी बेची गई और बाद में ऐसे लोगों को राहत भी मिल गई। यह प्रकरण कुछ इस प्रकार से है कि जैसे इलेक्टोरल बांड का मामला चल रहा है।
सहायक आबकारी आयुक्त कार्मिक के रूप में अपनी तैनाती के दौरान विभागीय पदोन्नति प्रक्रिया में बहुत से अधिकारियों को अनुचित और अवैध लाभ देकर पदोन्नति में मदद की इसके बारे में चर्चा है कि ऐसे सभी लोगों ने डिप्टी कार्मिक के कहने पर कोटक महिंद्रा की पॉलिसी खरीदी थी।
शासन का पत्र दबाने में माहिर
डिप्टी करने के बारे में कहां जा रहा है कि वह शासन द्वारा जो भी कार्रवाई के लिए जो भी पत्र जारी होते हैं उन्हें उनके स्तर से दबा दिया जाता है। अभी हाल ही में सहारनपुर की टपरी कांड में पर्यवेक्षक अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का मुख्यालय से विवरण मांगा गया था और इस कार्रवाई की जद में जॉइंट ईआईबी जैनेंद्र उपाध्याय समिति कई अधिकारियों पर कार्रवाई की जानी थी उस पत्र को डिप्टी कार्मिक द्वारा रेड्डी की टोकरी में फेंक दिया गया जिसके चलते अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई।
2020 से अब तक सभी पदोन्नति और 55 की हो उच्च स्तरीय जांच:
इंश्योरेंस पॉलिसी के इस ताजा मामले को देखते हुए जरूरी हो गया है कि वर्ष 2020 से अब तक मृतक आश्रित कोटे में की गई नियुक्तियों विभागीय पदोन्नति तथा आरोप पत्रों में जिंदगी अधिकारियों को राहत मिली है और जो भी पत्रावली डिप्टी कार्मिक द्वारा निस्तारित की गई है उसके गुणवत्ता की जांच किया जाना चाहिए जिससे कि उनके कारनामों का पर्दाफाश हो सके।
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