शराब तस्करों से है पुराना याराना:
सहायक आबकारी आयुक्त लवानिया और डिप्टी आबकारी आयुक्त आलोक कुमार बताए जा रहे मास्टरमाइंड;

लखनऊ। गोंडा की स्टार लाइट डिस्टलरी से गायब हुआ 24000 लीटर ईएनए अब विभाग की गले का फ़ांस बन गया है। बताया जा रहा है कि गायब हुआ यह एथेनॉल गोंडा के ही किसी शराब तस्कर के गोदाम पर उतरा है। यह भी दावा किया जा रहा है कि शराब तस्कर का डिप्टी और गोंडा के सहायक आबकारी आयुक्त लवानिया से बहुत नजदीकी संबंध है। स्टार लाइट डिस्टलरी से नियमित रूप से इथेनॉल की तस्करी होती है और यह एथेनॉल नेपाल तक चला जाता है। स्टार लाइट डिस्टलरी जिसका गोंडा में एक बॉटलिंग प्लांट है, दावा किया जा रहा है कि इस डिस्टलरी में देसी शराब बनाने के लिए जो ईएनए अलॉट होता है उसका बहुत बड़ा हिस्सा शराब तस्करों को बेच दिया जाता है। यह सब जिला आबकारी अधिकारी तथा डिस्टलरी में तैनात सहायक आबकारी अधिकारी की मिली भगत से होता है।
डिप्टी एक्साइज कमिश्नर जो भी होता है वह अपनी त्रैमासिक निरीक्षण आख्या में लाखों रुपए लेकर सब कुछ ठीक है जैसी आख्या मुख्यालय में भेजता है। वर्तमान में जिला आबकारी अधिकारी प्रगल्भ लवानिया जो कि ओवर रेटिंग और शराब तस्करी के लिए पहले से ही बदनाम है उन्होंने डिप्टी एक्साइज कमिश्नर आलोक कुमार के साथ मिलकर अब डिस्टलरी से ही करोड़ों रुपए की ईएनए गायब करने का षड्यंत्र रचा और गायब भी कर दिया। डिप्टी एक्साइज कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में 24000 लीटर इथेनॉल की खराब क्वालिटी का जिक्र किया है लेकिन यहां वेस्टेज एथेनॉल का भंडारण कहां है या उसे किस तरह से निस्तारित किया गया है इसका कोई विवरण नहीं दिया है।
आलोक कुमार पर क्यों उठ रहे हैं सवाल
डिप्टी एक्साइज कमिश्नर आलोक कुमार पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि स्टार लाइट डिस्टलरी के मालिक जगदीश अग्रवाल से उनके उस समय से संबंध हैं जब आलोक कुमार कानपुर के इंस्पेक्टर थे और जगदीश अग्रवाल नारंग डिस्टलरी संचालन करते थे। बताया जाता है कि तब भी आलोक कुमार जगदीश अग्रवाल की डिस्टलरी में नंबर दो का सिरा सप्लाई करवाने का काम करते थे।
कई वर्षों से स्टार लाइट डिस्टलरी के उत्पादों की नहीं हो रही सेंपलिंग:
बेहद महत्वपूर्ण सूत्रों ने दावा किया है कि स्टार लाइट डिस्टलरी के शराब उत्पादों का वर्षों से सैंपलिंग होकर लैब में परीक्षण के लिए भेजा ही नहीं गया जो अपने आप में बेहद ही गंभीर प्रकरण है। ऐसा केवल इसलिए संभव हुआ क्योंकि स्थानीय सहायक आबकारी आयुक्त लवानिया और डिस्टीलिटी में तैनात सहायक आबकारी आयुक्त की जगदीश अग्रवाल के साथ मिली भगत है। यह प्रकरण भी डिप्टी एक्साइज कमिश्नर आलोक कुमार के संज्ञान में है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की। कुल मिलाकर डिप्टी एक्साइज कमिश्नर आलोक कुमार जिला सहायक आबकारी आयुक्त तथा डिस्टलरी में तैनात सहायक आबकारी आयुक्त की मिली भगत से बड़े पैमाने पर शराब और इथेनॉल की तस्करी हो रही है और आबकारी विभाग को करोड़ों रुपए के राजस्व की क्षति हो रही है। देखना है इस प्रकरण में कोई गंभीर कार्रवाई होती है या फिर टपरी शराब कांड के आरोपियों की तरह यहां भी जो भी आरोपी हैं उन्हें बचा लिया जाएगा।
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