
लखनऊ। प्रयागराज में गोदाम पर तैनात आबकारी निरीक्षक शैलेंद्र तिवारी वर्तमान कमिश्नर आदर्श सिंह के लिए मजबूरी है या जरूरी इसको लेकर तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गई है। शैलेंद्र तिवारी के रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 6 जुलाई 23 को सहारनपुर के प्रवर्तन दो में तैनाती हुई थी लेकिन सहारनपुर की तैनाती अवधि का पूरा कार्यकाल मुख्यालय में पूरा किया। मुख्यालय में किसी आदेश के तहत शैलेंद्र तिवारी सेवा देते रहे उसे संबंध में कोई अभिलेख दिखाने की स्थिति में विभागीय अधिकारी नहीं है। लोग यह भी चर्चा कर रहे हैं कि आखिर शैलेंद्र तिवारी की ऐसी कौन सी विशिष्ट योग्यता है इसके बगैर मुख्यालय में आदर्श सिंह कमिश्नर व्यक्तिगत सुनवाई प्रकरण में खुद को अक्षम पा रहे थे। मुख्यालय में आदर्श सिंह कमिश्नर के व्यक्तिगत प्रकरण में आबकारी निरीक्षक शैलेंद्र तिवारी पूर्व में सहायक आबकारी आयुक्त कार्मिक रहे मुबारक अली के साथ पत्रावली निस्तारित करते रहे। मुख्यालय में तैनाती के दौरान शैलेंद्र तिवारी पर आरोप लगाता रहा कि अधिकारियों और कर्मचारियों के निलंबन और बहाली प्रकरण में जमकर वसूली की गई। वसूली के लिए झूठे प्रकरण बनाकर पहले सस्पेंशन हुआ और बाद में बहाली के लिए मोटी वसूली की गई। शैलेंद्र तिवारी जिनकी कार्मिक विभाग में तैनाती नहीं थी वह आबकारी आयुक्त के व्यक्तिगत सुनवाई प्रकरण में पत्रावली पर टिप्पणियां करते रहे। कारण बताओ नोटिस जारी करवाते रहे और दोषी तथा आरोप मुक्त की कार्रवाई करवाते रहे। शैलेंद्र तिवारी और मुबारक अली ने मिलकर कई अधिकारियों को तथ्यों की अनदेखी करते हुए गंभीर आरोपों से मुक्त करवा दिया। जॉइंट एक्साइज कमिश्नर स्कंद सिंह और हिम्मत सिंह के लिफाफे लिफाफे लेकर ही खोले गए और राहत दी गई। 2023 में मुख्यालय से बिना किसी आदेश के अटैच होने वाले शैलेंद्र तिवारी को नियम के विपरीत प्रयागराज में तीन वर्ष पूरा करने के बाद फिर से तैनाती दी गई है। मानव संपदा पोर्टल पर जारी विवरण के अनुसार आबकारी निरीक्षक शैलेंद्र कुमार तिवारी की प्रयागराज जनपद में तीन बार पोस्टिंग हुई और 3 वर्ष का निर्धारण कार्यकाल पूर्ण कर लिया था फिर भी उनको यहां बनाए रखा गया है। वर्तमान में आबकारी निरीक्षक की तैनाती जनपद के cl2 और fl2 गोदाम निगरानी के लिए की गई है लेकिन वह गोदाम को लावारिस छोड़कर आबकारी मुख्यालय के कार्मिक अनुभाग दो में ही पाए जाते हैं और आबकारी आयुक्त के व्यक्तिगत सुनवाई प्रकरण में प्रभावित अधिकारियों और कर्मचारियों से डील करते हैं। सवाल या पैदा होता है कि क्या आबकारी आयुक्त या नहीं जानते हैं कि शैलेंद्र तिवारी की नियुक्ति गोदाम पर है और वह उनकी व्यक्तिगत सुनवाई प्रकरण में कैसे भाग ले रहा है और ठीक उसी समय गोदाम पर निरीक्षण का दायित्व किसके पास है क्या गोदाम को शराब माफियाओं के हवाले कर दिया गया यह सवाल गंभीर है जिसका जवाब आना चाहिए।
इस सवाल का भी जवाब मिलना चाहिए कि 6 जुलाई 2023 से 1 जुलाई 2024 तक जिस अवधि में शैलेंद्र तिवारी की पोस्टिंग आबकारी निरीक्षक प्रवर्तन दो के रूप में थी वहां से कथित रूप से आबकारी मुख्यालय में अटैच कर दिया गया तो इस अवधि में क्या प्रवर्तन दो में कोई निरीक्षक तैनात नहीं था। यह भी जानकारी दी जानी चाहिए कि जिस अवधि में शैलेंद्र तिवारी आबकारी मुख्यालय में अटैच रहे उसे अवध में प्रवर्तन दो सहारनपुर में कितनी गाड़ियां पकड़ी गई कितनी दबिश दी गई कितने अभियोग पंजीकृत किए गए कितनी मदिरा बरामद हुई। कुल मिलाकर शैलेंद्र कुमार तिवारी आबकारी निरीक्षक की अवैध रूप से मुख्यालय में अटैच करने के बाद उनसे मुख्यालय में कौन सा काम लिया गया इसका विवरण भी नहीं दिया जा रहा है। कुछ लोग शैलेंद्र तिवारी को आबकारी आयुक्त की मजबूरी बता रहे हैं यह कौन सी मजबूरी है इसको लेकर तरह-तरह की चर्चा है।
मानव संपदा पोर्टल के अनुसार आबकारी निरीक्षक शैलेंद्र तिवारी की विभिन्न जनपदों में तैनाती का विवरण इस प्रकार है:

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