
नई दिल्ली। अमेरिका ने मध्ययुगीन बर्बरता का परिचय देते हुए जिस प्रकार से भारतीयों के हाथों में हथकड़ी और पांव में बेड़ी शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न करते हुए भारत को नीचा दिखाने की कोशिश की है। एक स्वाभिमानी और प्रभुता संपन्न राष्ट्र के नागरिक होने के नाते हम सब का यह फर्ज बनता है कि अमेरिका को सबक सिखाया जाए। तारिक को कई तरीके से सबक सिखाया जा सकता है फिलहाल हमारे पास सबसे सरल और सस्ता रास्ता यही है कि तमाम अमेरिकी उत्पादों का भारत में बहिष्कार शुरू किया जाए। यदि हम भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाले थम्स अप लिम्का कोका-कोला और पेप्सी जैसे सॉफ्ट ड्रिंक का बहिष्कार करें तो जल्द ही अमेरिका घुटनों पर आ जाएगा। अमेरिकी कंपनियां भारत में काम से कम 5 लाख करोड़ का कारोबार करती है ऐसे में यदि हमने उनके उत्पाद का बहिष्कार शुरू किया तो अमेरिका घुटने पर आ जाएगा। एक बार हम ऐसा कर चुके हैं जब प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के समय में अमेरिका ने हम पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे तो भारत ने ऐसे ही कदमों से अमेरिका को उसकी औकात याद दिला दी।
हम केवल मुंह से ही अमेरिका को सबक नहीं सिखा सकते हैं। भारत को चीन से प्रेरणा लेनी चाहिए और गूगल का कोई विकल्प ढूंढना पड़ेगा। गूगल है जो इस समय भारत की सारी गोपनीयता को खतरे में डाल रखा है। भारत को अमेरिका से किसी भी प्रकार के रक्षा सौदे से भी दूर रहना चाहिए। भारत को अमेरिका में निवेश करने वाले उद्योगपति और कारोबारी पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए। हाल ही में बीमा के क्षेत्र में कुछ अमेरिकी कंपनियों के निवेश के प्रस्ताव को भी भारत को ठुकराना चाहिए।
भारतीयों को डिपोर्ट करते समय अमेरिका ने जिस अमानवीयता का परिचय दिया है उसे देखते हुए वह किसी प्रकार के कंसेशन के लायक नहीं है। फिलहाल तो प्रधानमंत्री को भी अपनी अमेरिकी यात्रा टाल देनी चाहिए। ऐसे में जब वहां भेड़ बकरियों की तरह भारतीयों को चुन चुन कर हथकड़ी और पांव में जंजीर बांधकर भारत की सरजमीं पर फेंका जा रहा है ऐसे में भारत के लोगों की भावना का सरकार को भी आदर करना चाहिए और अमेरिका से दूर रहना चाहिए।
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