अवधभूमि

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लखनऊ। प्रदेश में अवैध शराब के उत्पादन वितरण और भंडारण को रोकने के लिए गोपनीय फंड  में  बड़े पैमाने पर हेरा फेरी करने की चर्चा है।  मिली जानकारी के मुताबिक सर्किल स्तर पर अवैध गतिविधियों के रोकथाम के लिए मुखबारी फंड के तहत कम से कम 5000 से ₹10000 तक दिया जाता है लेकिन आप जानकारी मिल रही है कि यह धनराशि मुख्यालय के बड़े हाकिम और वित्त नियंत्रक की भगत से बंदरबांट का शिकार हुआ है। मिली जानकारी के मुताबिक प्रतिवर्ष 35 से 40 लख रुपए का गबन किया जा रहा है और इस गोपनीय फंड का ऑडिट भी नहीं कराया जा रहा है। अभी हाल ही में बड़े हाकिम के  निजी सहायक के रूप में रिटायर हुए एक कर्मी के खाते में गोपीनीय फंड का पैसा ट्रांसफर किया गया जो बाद में कैश के रूप में वापस निकाल कर बंदर बांट किया गया। यह खेल पिछले 10 वर्षों से जारी है और करीब तीन से पांच करोड़ के बीच इस फंड का गबन किया जा चुका है। सूत्रों ने दावा किया है कि यदि इस फंड की ऑडिट की जाए तो बहुत बड़ा गबन सामने आ सकता है।

प्रवर्तन टीम को निष्क्रीय करने के लिए जानबूझ कर नहीं दिया जाता है फंड:

विभाग के बड़े अधिकारी इस गोपनीय फंड का व्यक्तिगत फंड के रूप में इस्तेमाल करते हैं। इससे एक तीर से कई निशाने हो जाते हैं। एक तरफ जहां प्रवर्तन टीम की कार्य कुशलता प्रभावित होती है वहीं दूसरी ओर शराब माफिया को भी इससे राहत मिलती है।

फिलहाल इस  फंड की जांच होनी चाहिए। जिला स्तर पर इस फंड के लिए जिला आबकारी अधिकारी मंडल स्तर पर डिप्टी और मुख्यालय स्तर पर कमिश्नर जिम्मेदार होते हैं।

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