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लैब टेक्नोलॉजिस्ट के चयन में धांधली, बिना इंटरव्यू हो गया सिलेक्शन:

लखनऊ। तथाकथित प्राविधिक अधिकारी संदीप मोडवेल की मिली भगत से शराब माफियाओं ने संदिग्ध योग्यता वाले अपने कैंडिडेट का महत्वपूर्ण लैब टेक्नोलॉजिस्ट के रूप में चयन कराने में सफल हो गए हैं।

सूत्रों ने दावा किया है कि कल लैब टेक्नोलॉजिस्ट के तौर पर चयनित किसी भी अभ्यर्थी का कोई साक्षात्कार ही नहीं किया गया यह सब नॉन टेक्निकल सहायक आबकारी आयुक्त जो तथाकथित प्राविधिक अधिकारी भी हैं उनकी मिली भगत से हुआ है कहा जा रहा है कि चयनित अभ्यर्थियों में ज्यादातर डिस्टलरी के लोग हैं ऐसे में सवाल उठ रहा है कि यदि डिक्शनरी के लोग ही लैब टेक्नोलॉजिस्ट बन जाएंगे तो फिर लो रिकवरी स्ट्रैंथ और शराब की क्वालिटी की निष्पक्षता से जांच कैसे संभव होगी। यह भी कहा जा रहा है कि बड़ी डिस्टलरी अपने लोगों को विभाग में लैब टेक्नोलॉजिस्ट के तौर पर नियुक्ति दिलाने के लिए लाखों रुपए खर्च कर चुकी है और उसका परिणाम भी सामने आ गया है।

कहा जा रहा है कि जेम पोर्टल के जरिए लैब टेक्नोलॉजिस्ट के लिए जिन लोगों का चयन हुआ है उनके पास किसी प्रकार का लैब में काम करने का अनुभव नहीं है और कुछ लोगों को तो केमिस्ट्री के साधारण सूत्र भी नहीं पता है।  एक महिला अभ्यर्थी समेत 4 अभ्यर्थी जिनका चयन हुआ है उनमे से किसी के पास लैब में काम का अनुभव   हैं  इसका मतलब साफ है कि आबकारी विभाग के लैब में अयोग्य लोगों की भर्ती हो रही है जिससे चीनी मिलों और शराब कारोबारी कि किसी प्रकार की अनियमित गतिविधि पर कोई अंकुश न लग सके। सूत्रों ने यह भी दावा किया कि चयन के बाद आउटसोर्सिंग के लिए विभाग द्वारा चयनित एजेंसी के प्रोपराइटर ने तथाकथित प्राविधिक अधिकारी सन्दीप मोडवेल के  पैर भी छुए।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस इंटरव्यू के  पैनल में जिन अधिकारियों का नाम शामिल हुआ है उन्होंने बिना इंटरव्यू चयन पर आपत्ति क्यों नहीं जताई। इंटरव्यू पैनल में एडिशनल कमिश्नर लाइसेंस अरविंद कुमार राय जॉइंट एक्साइज कमिश्नर लखनऊ दिलीप मणि त्रिपाठी डिप्टी एक्साइज कमिश्नर कार्मिक एवं अधिष्ठान कुमार प्रभात चंद्र तथा सहायक लैब टेक्नोलॉजिस्ट अनिल वर्मा का नाम भी शामिल था। इस चयन प्रक्रिया का मजाक बनाने वाले संदीप मोडवेल पर आखिर किसका वरद हस्त प्राप्त है। इसको लेकर तरह-तरह की चर्चा है।

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