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नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सनसनी खेज खुलासा करते हुए कहां है कि चुनाव प्रभावित करने के लिए वह अपने मित्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 21 मिलियन डॉलर की मदद करने जा रहे हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान के बाद अब यह बड़ा सवाल उठने लगा है कि क्या चुनाव आयोग अमेरिकी फंड से संचालित हो रहा है। बता दें कि विपक्ष भारत में कई वर्षों से चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहा है जब भी सवाल चुनाव आयोग से पूछा जाता है तो जवाब भारतीय जनता पार्टी और सरकार द्वारा दिया जाता है:
क्यों उठने लगे हैं सवाल:
वाशिंगटन पोस्ट को इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि भारत में मतदान के लिए या किसी अन्य उद्देश्य के लिए 21 मिलियन डॉलर(180 करोड़) खर्च किए जाने थे। क्षेत्रीय सहायता कार्यक्रमों की जानकारी रखने वाले तीन लोगों ने नाम न बताने की शर्त पर इस दावे पर हैरानी जताई – और चिंता जताई कि इससे भारत की दक्षिणपंथी सरकार को सिविल सोसायटी को और कमजोर करने की कोशिशों को मजबूती मिलेगी।
वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा है- DOGE (अमेरिकी दक्षता विभाग) ने इस खबर पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। व्हाइट हाउस और स्टेट डिपार्टमेंट (विदेश मंत्रालय) ने टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया। DOGE को ट्रम्प के अरबपति मित्र एलन मस्क संभाल रहे हैं। यह मामला पिछले हफ्ते डॉग की एक सोशल मीडिया पोस्ट के साथ शुरू हुआ था।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने क्या कहा:
ट्रम्प ने कहा- “21 मिलियन डॉलर मेरे दोस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत को मतदाता भागीदारी के लिए जा रहे हैं। हम भारत में मतदाता भागीदारी के लिए 21 मिलियन डॉलर दे रहे हैं। हमारे लिए क्या? मैं भी मतदाता भागीदारी चाहता हूं।” यानी ट्रम्प ये कह रहे हैं कि 21 मिलियन डॉलर भारत में मोदी सरकार को जा रहे हैं।
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