
मॉस्को/पेरिस: फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन राफेल लड़ाकू विमान का ‘सोर्स कोड’ भारत को सौंपने के लिए तैयार नहीं है। जिसकी वजह से माना जा रहा है कि भारत आगे फ्रांसीसी फाइटर जेट नहीं खरीदेगा। पाकिस्तान से हालिया संघर्ष के बाद भारत की कोशिश राफेल लड़ाकू विमानों में अपने स्वदेशी मिसाइलों को इंटीग्रेट करने की है, लेकिन फ्रांस सोर्स कोड शेयर करने के लिए तैयार नहीं हैं। इससे पहले भी भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान इंजन ‘कावेरी’ के लिए जब फ्रांसीसी कंपनी ने भारत की मदद नहीं की थी तो भारत ने अपने आजमाए हुए दोस्त रूस का रूख किया था। आज की तारीफ में कावेरी टर्बोफैन इंजन का टेस्ट रूस में इल्यूशिन 11-76 एयरक्राफ्ट 11-76 एयरक्राफ्ट में लगाकर किया जा रहा है। फाइटर जेट के इंजन का टेस्ट करना बहुत मुश्किल प्रक्रिया है और उसके लिए अलग इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत पड़ती है और रूस, भारतीय इंजन की टेस्टिंग के लिए तैयार हो गया।
जो विमान तुर्की ने 526 करोड रुपए का खरीदा था भारत में उसी को 1600 करोड़ में खरीदा था और तब दावा किया गया था कि राफेल बनाने वाली दसाल्ट कंपनी भारत को इस विमान को कस्टमाइज करने के लिए सोर्स कोड भी हस्तांतरित करेगा लेकिन अब कंपनी अपने वादे से मुकर गई है और एक तरह से भारत के साथ बहुत बड़ी धोखाधड़ी हो गई है। इसी राफेल सौदे पर विपक्ष ने भारी हंगामा किया था और इसे एक महंगा सौदा बताया था एक बार फिर यहां पर सियासत गर्म हो सकती है।
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