वसूली गैंग सदमे में:
लखनऊ। शिकारी खुद शिकार हो गया। यह कहावत आबकारी मुख्यालय के वसूली गैंग पर ही सटीक बैठ रही है। बताया जा रहा है कि कई सहायक आबकारी अय्युक्तों की जिलों और डिस्टलरी में तैनाती होनी थी जिसके लिए मुख्यालय से कुछ नाम अनुमोदन के लिए शासन में भेजे गए। कहां जा रहा है कि शासन में अनुमोदन के लिए भेजी गई ट्रांसफर लिस्ट में संशोधन हो गया। संशोधित लिस्ट मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा स्वीकृत भी हो गई लेकिन अभी तक ट्रांसफर लिस्ट जारी नहीं हो रही है। अब इसकी एक इनसाइड स्टोरी सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि आबकारी मुख्यालय में तैनात सहायक आबकारी आयुक्त कार्मिक मुबारक अली तथा इंस्पेक्टर राजकुमार यादव जिन्होंने पोस्टिंग के लिए अच्छी खासी वसूली की थी लेकिन शासन में ट्रांसफर लिस्ट संशोधित हो जाने के बाद उनके हाथ के तोते उड़ गए। वजह है कि एक हफ्ते पहले मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा स्वीकृति के बावजूद अभी तक ट्रांसफर लिस्ट जारी नहीं हुई है क्योंकि इस लिस्ट में वह कई नाम गायब है जिसे वसूली की गई थी ऐसा कहा जा रहा है। शासन में जो खेल हुआ उससे वसूली गैंग सदमे में है। उसके सामने विकट समस्या है की वसूली की रकम उसे वापस करनी पड़ेगी और दूसरी ऒर ऐसे लोग महत्वपूर्ण जिलों और डिस्टलरी में पोस्टिंग पा जाएंगे जहां से यह गैंग हर महीने लाखों करोड़ों की वसूली करता रहा है। देखना है अब यह नई लिस्ट कब जारी होती है।
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