पार्टी और सहयोगियों के पिछड़े दलित नेताओं से अपने दफ्तर में मिल रहे हैं केशव प्रसाद मौर्य:
योगी आदित्यनाथ के खिलाफ हो रही गोलबंदी:
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद योगी आदित्यनाथ के खिलाफ असंतोष और बगावत अपनी बुलंदी पर है। लोकसभा चुनाव के बाद जहां दोनों उपमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कैबिनेट मीटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं। वहीं अब बात इससे आगे निकल गई है और केशव प्रसाद मौर्य ने अपने दफ्तर में पार्टी के पिछड़े और दलित नेताओं से अलग से मुलाकात कर योगी आदित्यनाथ के खिलाफ गोल बंद कर रहे हैं। माना जा रहा है कि केशव प्रसाद मौर्य पार्टी के पिछड़े और दलित विधायकों के भी संपर्क में हैं। केशव प्रसाद मौर्य का हौसला बढ़ाने के लिए आज निषाद पार्टी के संजय निषाद भी उनके दफ्तर पहुंचे जबकि इसके पूर्व ओमप्रकाश राजभर केशव प्रसाद मौर्य का समर्थन कर चुके हैं। मुख्यमंत्री बृजेश पाठक का भी रवैया योगी आदित्यनाथ को लेकर संतोषजनक नहीं है। वह पार्टी के ब्राह्मण विधायकों के संपर्क में बने हुए हैं। बृजेश पाठक के दफ्तर में पार्टी के ब्राह्मण नेताओं का जमावड़ा देखा जा रहा है।
योगी आदित्यनाथ के हर फैसले का विरोध:
लोकसभा चुनाव के बाद योगी आदित्यनाथ जो भी फैसला कर रहे हैं पार्टी के वरिष्ठ नेता उसका समर्थन नहीं कर रहे हैं बल्कि विरोध कर रहे हैं। पार्टी के ही कई वरिष्ठ मंत्री और पूर्व मंत्री योगी सरकार की नौकरशाही की शिकायत कर रहे हैं जबकि पार्टी के ही कई एमएलसी और विधायक अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। माना जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ से नाराज नेताओं को प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह की शह मिली है।
नेम प्लेट विवाद पर पार्टी के नेताओं ने किया किनारा:
हिंदुत्व के पिच पर बड़ा चेहरा बनने के होड़ में योगी आदित्यनाथ में जब फरमान जारी किया कि कावड़ रूट पर सभी दुकानदार अपने नाम की तख्ती लगाएंगे तो पार्टी के ही वरिष्ठ नेताओं ने योगी आदित्यनाथ के समर्थन में बयान नहीं जारी किया। यहां तक की प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी जो कि इस इलाके से आते हैं उन्होंने भी इस पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया जबकि आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने इसे फिजूल और बकवास बताया। सुप्रीम कोर्ट में जब मामला पहुंचा और फैसले पर रोक लग गई तो योगी सरकार की जमकर किरकिरी हुई तब भी पार्टी की ओर से कोई भी सरकार के फैसले के बचाव में सामने नहीं आया।
लखनऊ के कुकरेल और अकबरनगर में जेसीबी के कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए योगी आदित्यनाथ मजबूर हो गए क्योंकि इस फैसले पर भी पार्टी के ही लोग उनकी कड़ी आलोचना कर रहे थे और ऐसी कार्रवाई को लोकसभा में हर के लिए जिम्मेदार बता रहे थे।
कुल मिलाकर योगी आदित्यनाथ के खिलाफ संगठन और सरकार में जबरदस्त बगावत देखने को मिल रही है इसका क्या अंजाम होगा आने वाले समय में देखना दिलचस्प होगा।
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