लखनऊ। उत्तरप्रदेश में पंजाब और हरियाणा के शराब तस्कर एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। लगभग दो साल से लखनऊ में शराब तस्करी की शिकायतें आ नही रही थी लेकिन जैनेन्द्र उपाध्याय के ज्वाइंट ईआईबी बनते ही शराब तस्करों के पौ बारह हो गए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक डिप्टी लखनऊ जिला आबकारी अधिकारी लखनऊ और निरीक्षकों की मिली भगत से गत दो महीनों से लखनऊ में शराब तस्करी चल रही थी जिस पर एसटीएफ की निगाहें थी । एसटीएफ ने शराब तस्करों से 95 पेटी अवैध शराब बरामद किया जिसका मूल्य 30 लाख से ज्यादा है।
जैनेन्द्र उपाध्याय के लखनऊ में डिप्टी के पद पर तैनाती के समय से ही सक्रिय हुए हरियाणा के तस्कर:
लखनऊ में 2017 में जब वर्त्तमान ज्वाइन्ट जैनेन्द्र उपाध्याय की डिप्टी के रूप में तैनाती हुई तो कहा जाता है कि उसी समय पंजाब हरियाणा के शराब तस्कर कथित तौर पर उनके सम्पर्क में आ गए और बड़ी संख्या में अवैध शराब लखनऊ में परोसी गयी।शराब कारोबारियों से जैनेन्द्र उपाध्याय के नजदीकी संबंधो की चर्चा है।
कहा तो यहां तक जा रहा है कि कोरोना से पहले अवैध शराब कारोबारियों से मिलकर करोड़ो रूपये का वारा न्यारा किया।
दुकानों से शुरू की वसूली:
लाइसेंसियों के बीच आम चर्चा है कि जैनेंद्र उपाध्याय ने लखनऊ के तमाम लाइसेंसी को ओवर रेटिंग के लिए मजबूर कर लगभग 700 दुकानों से 10 लाख तक की वसूली की जाती थी तथा अवैध रूप से दूसरे प्रदेश की शराब बेचने को मजबूर किया जाता था।
नोटबन्दी के दौरान खरीदी गई करोड़ो की प्रॉपर्टी:
नोटबन्दी के दौरान लखनऊ में तैनाती के दौरान कई अधिकारियों नेअवैध रूप से कमाए करोड़ों रुपये से लखनऊ और एनसीआर रीजन में प्लाट और व्यवसायिक प्रतिष्ठान बनाये।
ज्वाइन्ट उपाध्याय की तैनाती से शराब कारोबारी और तस्कर के अच्छे दिन आ गए इस बात की आम चर्चा है।
एसटीफ के राडार पर आबकारी आयुक्तालय:
एसटीएफ पकड़े गए शराब तस्करों से पूछताछ कर रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ईर्ष्या जानने की कोशिश कर रही है आबकारी विभाग के कौन-कौन से अधिकारी उनके संपर्क में हैं और क्या इस तस्करी में आबकारी विभाग के अधिकारी या कर्मचारी संलिप्त हैं। एसटीएफ यह जानने की कोशिश कर रही है कि यह शराब क्या लाइसेंसी दुकानों के माध्यम से हटाने की कोशिश की जा रही थी। फिलहाल प्रकरण बेहद गंभीर है और यह घटना आबकारी विभाग को सवालों के घेरे में ले चुकी है।
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