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घट रही है दुनिया में भारत की साख: भारत के पासपोर्ट की रैंकिंग में गिरावट: 17 लाख लोगों ने छोड़ी भारत की नागरिकता:

नई दिल्ली। सरकार भले ही यह दावे कर रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद पूरी दुनिया में भारत का डंका बज रहा है लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है।

किस सरकार का दुनिया में अधिक साख है यह उसके पासपोर्ट की ताकत से पता चलता है। दुनिया के मजबूत पासपोर्ट की ताजा रैंकिंग में भारत 80 में नंबर पर खिसक गया है। ताजा रैंकिंग के अनुसार दुनिया में सबसे मजबूत पासपोर्ट सिंगापुर का है जिसके नागरिक अराइवल से पहले 192 देशों में यात्रा कर सकते हैं। दूसरे नंबर पर जर्मनी का नाम आता है जिससे नागरिक 191 देशों में बिना वीजा जा सकते हैं। इसी तरह यूरोप अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के लोग 187 देशों की यात्रा बिना वीजा के कर सकते हैं। इस मामले में पिछले 9 सालों में लगातार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख कमजोर हुई है और पासपोर्ट वीजा रैंकिंग भारत का स्थान 50 से खिसक कर 80 में नंबर पर चला गया है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के एक सवाल के लिखित जवाब में विदेश मंत्री जयशंकर प्रसाद ने कहा है कि 2011 के बाद से अब तक 17 लाख से ज्यादा लोगों में भारत के नागरिक तक छोड़ दी है। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा 7 लाख लोगों ने अमेरिकी अप्रवासियों ने भारत की नागरिकता छोड़ी इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया यूरोप और न्यूजीलैंड के आप प्रवासी भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी।

लोगों ने क्यों छोड़ी भारत की नागरिकता:

बड़ी संख्या में अप्रवासी भारतीयों के नागरिकता छोड़ने की सबसे बड़ी वजह कमजोर पासपोर्ट रैंकिंग मानी जा रही है। जबकि अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के पासपोर्ट पर जहां 180 देशों की यात्रा हो सकती है वहीं भारत के पासपोर्ट से मात्र 57 देशों की यात्रा हो सकती है।

भारतीय नागरिकता छोड़ने की जो दूसरी सबसे बड़ी वजह सामने आई है वह यह कि भारत में रोजगार के अवसर पूरी तरह सीमित हो गया है और यूरोपीय अमेरिकी और अन्य देशों के मुकाबले वेतन और श्रम का मूल्य बेहद कम है यही वजह है कि भारत के पेशेवर इंजीनियर डॉक्टर वैज्ञानिक और बड़ी संख्या में व्यवसाई देश छोड़कर जा रहे हैं।

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