
लखनऊ। एक शीरा माफिया को बचाने के आरोप में कई अधिकारियों की विधानसभा में पेशी हो गई। मिली जानकारी के मुताबिक प्रकरण बरेली का है जहां पिछले वर्ष एक टैंकर शीरा पकड़ा गया । पकड़ा गया शीरा c हैवी क्रांतिकारी का था। मामला तब उलझ गया जब पकड़े गए आरोपी ने शीरा को खांड़सारी का बताया। ऐसे में सवाल पैदा होता है कि खांड़सारी का शीरा b हैवी कैटेगरी में आता है लेकिन डिप्टी बरेली ने अपनी रिपोर्ट में चीनी मिल का शीरा यानी c हैवी की श्रेणी में का बता दिया । ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि पकड़े गए आरोपी के टैंकर का कोई गेट पास मौजूद नहीं है।
विधानसभा की कमेटी ने इस प्रकरण की जांच के लिए गठित विधानसभा की कमेटी ने प्रमुख सचिव और अधिकारियों से तीखे सवाल पूछे। जो सबसे अहम सवाल पूछे गए उसमें यह भी पूछा गया कि टैंकर का जीपीएस चीनी मिल की लोकेशन बता रहा है जबकि विभाग के अधिकारी अब इसे खांड सारी बात कर छोड़ दिए। कमिश्नर ने सफाई दी है कि अब यह मामला पुलिस के पास है और वहीं इसकी जांच कर रही है। कमेटी ने पकड़े गए शीरा का लैब टेस्ट करवाने को लेकर भी सवाल पूछा जिस पर प्रमुख सचिव ने कहा कि विभाग के ही लैब में शीरा का सैंपल टेस्ट कराया गया है। मामला तब उलझ गया जब लैब टेस्ट में बरामद शीरा c हैवी कैटेगरी का निकला तो फिर वही सवाल खड़ा हुआ कि अधिकारियों ने बिना गेट पास के शीरा ले जा रहे टैंकर की जीपीएस लोकेशन के आधार पर चीनी मिल पर कार्रवाई क्यों नहीं की। आबकारी अधिकारियों को जीपीएस लोकेशन के आधार पर उस चीनी मिल को भी जांच के दायरे में लाना था जहां से टैंकर शीरा लेकर आगे बढ़ा था। यह भी कहां जा रहा है कि पकड़ा गया टैंकर किसी कपिल चौधरी का है जो वहां का बड़ा शीरा माफिया है। फिलहाल मामला अधिकारियों के गले की फांस बन गया है।
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