फर्जी ज्वाइन डायरेक्टर जोगिंदर सिंह और फेक पोर्टल के मास्टरमाइंड हरिश्चंद्र श्रीवास्तव को अभी तक क्यों नहीं भेजा गया जेल:
आबकारी आयुक्त आदर्श सिंह अपने पर्यवेक्षणीय दायित्व से क्यों भाग रहे हैं।


लखनऊ। आबकारी आयुक्त आदर्श सिंह ने जब से कहा कि मेंटर पोर्टल पर किसी प्रकार का ट्रांजेक्शन या डांटा अपलोड नहीं होगा तबसे ही यहां सवाल खड़ा होने लगा कि यहा एक फेक पोर्टल है और इसकी रचना पूर्व एडिशनल कमिश्नर लाइसेंस हरिश्चंद्र श्रीवास्तव और फर्जी जॉइंट डायरेक्टर जोगिंदर जोकि अगले माह ही रिटायर होने वाले हैं इन्होंने मिलकर रची। इस फर्जी पोर्टल के जरिए कई हजार करोड़ रुपए के इंडेंट क्यूआर और गेट पास जारी किए गए। इतना ही नहीं मेंटर पोर्टल के जरिए जो भी भुक्तान लिए उसे आबकारी विभाग के अधिकृत IESCMS पोर्टल ने स्वीकार भी किया और सांख्यिकी विभाग के नटवरलाल फेक जॉइंट डायरेक्टर जोगिंदर सिंह ने जारी कर दिया और उसी आंकड़े को शासन ने भी जारी कर दिया। ऐसे में अब यहां सवाल उठ रहा है कि अगर मैंटर पोर्टल फेक है इसलिए इसे आउट ऑफ सर्विस किया गया तो सवाल उठता है कि इसके आंकड़े को सही कैसे माना जाए जो कई सालों से आबकारी विभाग जारी करता आ रहा है।

इस पूरे खेल के मास्टरमाइंड जोगिंदर सिंह और हरिश्चंद्र श्रीवास्तव पर वर्तमान कमिश्नर किस लिए मेहरबान है इसकी भी जांच होनी चाहिए। इतने बड़े फर्जीवाडे में आरोपी और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कोई कारवाई क्यों नहीं हुई। इस पूरे मामले की cag से जांच होनी चाहिए। सीधा सा सवाल है कि कमिश्नर को यह बताना चाहिए कि किस शिकायत पर मेंटर पोर्टल को हटाया गया और किसके आदेश से मेंटर पोर्टल की सेवा ली जा रही थी। कमिश्नर को यह भी स्पष्ट करना होगा कि फर्जी और फेक पोर्टल के जन्मदाता एडिशनल कमिश्नर लाइसेंस हरिचंद श्रीवास्तव को आउट सोचकर पोर्टल की जिम्मेदारी विभाष की ओर से क्यों दी गई क्या इस षड्यंत्र में सभी शामिल है।

फिलहाल तमाम सवालों का जवाब तभी मिलेगा जब इस पूरे मामले की शासन स्तर पर जांच हो।


रहस्य में है ओएसिस की चुप्पी:
आबकारी विभाग में ट्रेस और ट्रैक सिस्टम के सर्विस प्रोवाइडर के रूप में चयनित ओएसिस ने इस पूरे मामले में चुप्पी साध रखी है। उसे स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उसने अपनी सर्विस को मैटर पोर्टल को आउटसोर्स किया था और क्या इसकी मंजूरी शासन स्तर पर मिली थी या नहीं। फिलहाल विभाग की अधिकृत सर्विस प्रोवाइडर ओएसिस ने इस पूरे मामले में चुप्पी साध ली है जिससे यह मामला रहस्य में होता जा रहा है।

More Stories
तो क्या कमिश्नर और प्रमुख सचिव को भी जाना पड़ेगा जेल !
उम्मीद के अनुरूप नहीं बिक रहे आवेदन फॉर्म:
शिक्षामित्रो को बड़ा झटका: