लालगंज, प्रतापगढ़। कानपुर में आग से जलकर मां बेटी की दर्दनाक मौत की घटना को लेकर विधानसभा में प्रतापगढ की आवाज गूंजी है। कांग्रेस विधानमण्डल दल की नेता एवं जिले की रामपुर खास की विधायक आराधना मिश्रा मोना ने कानपुर में मां बेटी की झोपड़ी में जलकर हुई दर्दनाक मौत की घटना को पूरी तरह से अमानवीय ठहराते हुए पूरे घटनाक्रम की सरकार से हाईकोर्ट के जज की निगरानी में न्यायिक जांच कराये जाने पर जोर दिया है। वहीं विधायक आराधना मिश्रा ने सरकार से घटना में जिम्मेदार बड़े प्रशासनिक अधिकारियों की भी भूमिका को लेकर अब तक मौन रहने पर भी तीखा सवाल दागा है। बुधवार की देर रात विधानसभा में नियम 56 के तहत अपने सवाल को लेकर इस घटना क्रम पर सीएलपी नेता मोना ने दिए गए अपने वक्तव्य में कहा है कि कानपुर में कृष्णगोपाल दीक्षित की पत्नी तथा बेटी की प्रशासन के द्वारा बुल्डोजर की धौंसभरी कार्रवाई के बीच हुई जलकर खौफनाक मौत से सरकार व प्रशासन की संवेदनहीनता पर प्रदेश भर में जनता के बीच बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। उन्होंने विधानसभा में यह मामला उठाते हुए घटना को लेकर वायरल हुए वीडियो का हवाला देते हुए सदन में कहा कि घर के मुखिया कृष्णगोपाल ने प्रशासन से समय मांगा था किन्तु प्रशासनिक निष्ठुरता के चलते उनकी आंखों के सामने ही बेटी व पत्नी की झोपड़ी के अन्दर जलकर दर्दनाक मौत हो गई। विधायक आराधना मिश्रा मोना ने सरकार से कहा कि प्रशासन ने मां बेटी को आत्मदाह के लिए उकसाया, तभी प्रशासन की आंख के सामने इतना बड़ा हादसा निर्दयता की पराकाष्ठा पार कर गया। सीएलपी नेता आराधना मिश्रा मोना ने अपने वक्तव्य में कहा कि घर के पीड़ित मुखिया कृष्णगोपाल का बेटा अपनी मां और बहन को बचाने का प्रयास कर रहा था तब भी पुलिस बेटे को गिरफ्तार करने का फरमान सुना रही थी। उन्होंने सरकार से कहा कि वह सुनिश्चित करे कि यह अराजकता कैसे हुई कि जिन प्रशासनिक अधिकारियों ने ऐसी अमानवीय कार्यवाही के आदेश दिए थे उन पर कार्रवाई को लेकर सूबे की सरकार आखिर मौन क्यों है। विधायक आराधना मिश्रा मोना ने अपने भाषण के जरिए सरकार से इस दर्दनाक घटना की सत्यता की जांच के साथ न्यायिक जांच कराए जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि घटना की हाईकोर्ट के कार्यरत जज की निगरानी में जांच होनी चाहिए और उन सभी दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। जो एक बेकसूर बेटी और मां की इस दर्दनाक मौत के जिम्मेदार हैं। विधायक आरोधना मिश्रा मोना के द्वारा विधानसभा में दिए गए वक्तव्य की जानकारी गुरूवार को यहां मीडिया प्रभारी ज्ञान प्रकाश शुक्ल के हवाले से जारी विज्ञप्ति में दी गई है।
जरूरतमंद को न्याय दिलाने में अधिवक्ताओं का योगदान महत्वपूर्ण-एसडीएम
-तहसील सभागार में हुई बार बेंच की समन्वय बैठक में समस्याओं को लेकर मंत्रणा
फोटो 02- तहसील सभागार में बैठक को संबोधित करते एसडीएम उदयभान सिंह
लालगंज, प्रतापगढ़। स्थानीय तहसील सभागार में गुरूवार को बार एवं बेंच की हुई समन्वय बैठक में एसडीएम ने अधिवक्ताओं से अदालती कामकाज को सुचारू बनाये रखने को लेकर सहयोग मांगा। उन्होंने अधिवक्ताओं से कहा कि वादकारियों को शीघ्र न्याय मिल सके, तभी बार एवं बेंच के पूर्णन्याय के लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा। नवागांतुक एसडीएम उदयभान सिंह ने वकीलों को भरोसा दिलाया कि जन समस्याओं के निस्तारण में शिकायतों को तहसील प्रशासन गंभीरता से लेते हुए पीड़ित की अपेक्षा पर खरा उतरेगा। एसडीएम ने तहसील में न्यायिक तथा प्रशासनिक कामकाज के वातावरण में तेजी लाए जाने के साथ यह भी कहा कि वकीलों के मान सम्मान तथा उनकी समस्याओं के हल कराए जाने को लेकर सदैव प्राथमिकता दी जाएगी। एसडीएम न्यायिक तनवीर अहमद ने भी बार एवं बेंच के मजबूत समन्वय को जन समस्याओं के निस्तारण का मजबूत आधार ठहराया। तहसीलदार धीरेन्द्र प्रताप सिंह ने तहसील में साफ सफाई तथा जन सुविधाओं को सुदृढ़ बनाये जाने पर जोर दिया। बैठक की अध्यक्षता करते हुए संयुक्त अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अनिल त्रिपाठी महेश ने अफसरों को अधिवक्ताओं तथा वादकारियों से जुड़ी प्राथमिकताएं गिनाई। संचालन पूर्व अध्यक्ष ज्ञानप्रकाश शुक्ल व संयोजन वरिष्ठ उपाध्यक्ष शहजाद अंसारी तथा उपाध्यक्ष बीके तिवारी ने किया। पूर्व अध्यक्ष राममोहन सिंह, देवी प्रसाद मिश्र, शिवाकांत उपाध्याय, रामलगन यादव, अजय शुक्ल गुड्डू, विनोद मिश्र, ने अपने संबोधन में न्यायिक सुचिता को लेकर सुझाव सौंपे। इस मौके पर दिनेश मिश्र, कमाल अहमद, विपिन शुक्ल, प्रमोद सिंह, दीपेन्द्र तिवारी, सुशील शुक्ल, अनिल मिश्र, शिवाकांत शुक्ल, घनश्याम सरोज, राजेश सरोज, सुरेश मिश्र मदन, सुमित त्रिपाठी, देशराज यादव, पारसनाथ सरोज, उदयराज पाल, ललित गौड़, घनश्याम संवरिया, भाष्कर शुक्ल आदि अधिवक्ता रहे।
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