लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि यदि योग्यता नहीं है तो मृतक आश्रित कोटे में भी नौकरी नहीं दी जा सकती।
मामला उत्तर प्रदेश का है। जहां रेहन नामक एक युवक सांख्यिकी विभाग में कार्यरत अपने पिता की सेवा काल में मृत्यु होने के बाद मृतक आश्रित कोटे में नौकरी के लिए अप्लाई किया लेकिन विभाग ने लिपिक पद पर तैनाती से पहले उसकी परीक्षा ली और परीक्षा में फेल हो जाने के बाद नियुक्ति देने से मना कर दिया। इस प्रकरण में रेहन ने हाईकोर्ट इलाहाबाद में याचिका दाखिल की । अपनी याचिका में रेहन ने कहाकि यदि वह लिपिक संवर्ग के लिए क्वालीफाई नहीं कर पा रहा है तो उसे चतुर्थ श्रेणी पद पर ही नियुक्ति किया जाए इसका राज्य सरकार ने विरोध किया लेकिन राज्य सरकार के विरोध को दरकिनार कर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में आदेश सुनाया।
इस आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई जहां चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को राहत देने से इनकार करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया
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