मंत्री और प्रमुख सचिव के नाम पर भी की गई वसूली:
प्रयागराज। आबकारी मुख्यालय में सिपाही से पदोन्नति प्रकार बाबू और बाबू से पदोन्नति पाकर इंस्पेक्टर राजकुमार यादव जो 32 वर्षों से आबकारी मुख्यालय के कार्मिक में अंगद के पांव की तरह जमा हुआ है, प्रमुख सचिव विशेष सचिव कमिश्नर के नाम पर भी वसूली के आरोप की वजह से चर्चा में है। एक डिप्टी ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि मुख्यालय में तैनात मुबारक अली के इशारे पर राजकुमार यादव अधिकारियों पर कार्रवाई की धमकी देकर वसूली करता है। अब यह खुलासा हुआ है कि कमिश्नर के स्तर पर जो भी सुनवाई हो रही है और जिनका भी प्रकरण लंबित है, वह सभी राजकुमार यादव के इर्द-गिर्द चक्कर लगा रहे हैं। अभी तक जितने भी मेजर पनिशमेंट के मामले सामने आए हैं और लोगों को राहत मिली है उसमें वसूली गैंग का बहुत बड़ा रोल रहा है। अभी हाल ही में इंस्पेक्टर से सहायक आबकारी आयुक्त बने हिम्मत सिंह और स्कंद सिंह के मामले में भी चर्चा में है कहां जा रहा है कि राजकुमार यादव ने इन लोगों से तगड़ी वसूली करके राहत दिलाई। अब यह भी सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या राजकुमार यादव को वसूली में उसकी दक्षता को देखते हुए 32 वर्षों से कार्मिक में तैनाती दी गई है।
लखनऊ में तैनात एक डिप्टी अपनी मेरठ में तैनाती के लिए राजकुमार यादव के संपर्क में है। इसी तरह आगरा में डिप्टी की तैनाती होनी है उसके लिए भी मुबारक अली और राजकुमार बोली लगा रहे हैं। यह भी चर्चा है कि नवंबर महीने में ज्वाइन्ट ईआइबी की तैनाती के लिए भी कई लोग बोली लगा रहे हैं। इस पोस्ट के लिए मंत्री प्रमुख सचिव के नाम पर भी तगड़ी वसूली की चर्चा हो रही है। इस खेल में हरिश्चंद्र श्रीवास्तव जो की एडिशनल एक्साइज कमिश्नर लाइसेंस से रिटायर होकर वर्तमान में ठेके पर विभाग के पोर्टल में हेरा फेरी का काम कर रहा है वह भी लायजनिंग का काम कर रहा है। 32 सालों से राजकुमार कार्मिक में ही क्यों तैनात है उसे हटाया क्यों नहीं गया। इसको लेकर कमिश्नर और प्रमुख सचिव तक बदनाम हो रहे हैं अब यह मामला मंत्री के भी संज्ञान में लाया गया है। देखना है कि आबकारी मुख्यालय का यह वसूली गैंग मुख्यमंत्री के निगाह में कब आएगा और इस पर कारवाई कब होगी।
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